Home बाबू भैया की कलम से महादेव एप बन्द कराने का क्या प्रदेश सरकारों में दम नहीं

महादेव एप बन्द कराने का क्या प्रदेश सरकारों में दम नहीं

42
0

हमारे हिन्दू सनातनी लोगों के आराध्य भगवान भोले शंकर महादेव के नाम को छत्तीसगढ़ के चंद लोगों ने पूंजी के लालच में बदनाम करने का मानों बीड़ा उठा रखा है। महादेव के नाम से सट्टा शुरू किया,महादेव एप सट्टा, हजारों से शुरू हुए इस खेल को इस्पात नगरी भिलाई के युवक ने इसे करोड़ों का अवैध व्यापार बना दिया। लगभग एक करोड़ चालीस लाख की आबादी के हमारे शांत प्रदेश में मु_ी भर युवाओं ने तूफान खड़ा कर दिया है। प्रदेश की दो सरकारें इसकी चपेट में हैं। बन्द करने का उपाय नहीं सूझ रहा है। अधिकारों के होते हुए, कोई कुछ कर नहीं पा रहा है। कांग्रेस सरकार भी असहाय थी। वर्तमान भाजपा सरकार भी है। सट्टेबाज इनकी पकड़ के बाहर दुबई में अपनी असीमित पूंजी के बल पर बड़े बड़ों को अपने हाथों में खिला रहा है। तीन संचालकों का तो नाम जाहिर है, जो दुबई से इस काले धंधे को बहुत ही आसानी से कर रहे हैं। अनुमान लगाया जाता है कि ना जाने कितने ऐसे और नाम होंगे जो संचालकों के सहायक बने बैठे हैं,और इनके पकड़े जाने के बाद मामला सम्हालने तैयार बैठे हैं। देश के अन्य राज्यों में भी यह कार्य फैल चुका है। पेड़ की शाखाओं की तरह बढ़ता ही जा रहा है। बड़े बड़े लोग इनके क्लाइंट हैं। कहा जा रहा है कि यह इसलिए सम्भव हो पा रहा है क्योंकि संबंधित अधिकार सम्पन अधिकारियों से लेकर अदना कर्मचारी जो सिस्टम में बैठे हैं, उनमे से अधिकांश इनकी पूंजी के नीचे दबे हैं। इतनी जटिल समस्या है, यह इससे ही समझा जा सकता है कि लगभग 400 लोगों को इस मुद्दे पर गिरफ्तार किया जा चुका है। परन्तु धंधा ना मंदा हो रहा है ना बन्द हो रहा है,बल्कि दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी करता दिखाई दे रहा है।ऐसा भी नहीं है कि सरकारों ने कोई प्रयास नहीं किये। तब की सरकार ने भी राजनीति करने के साथ कईयों को गिरफ्तार भी किया,कईयों पर नकेल भी कसी। केंद्र सरकार से भी मदद मांगी। वर्तमान भाजपा सरकार ने तो बंद करने के प्रयासों के साथ इस पर बड़ी राजनीति खेलने की कोशिश की है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर शंका की सुई का मुंह घुमा दिया और कहा महादेव एप सट्टा कांग्रेस की देन है।इसके बड़े नेताओं का परिवार इसमें संलिप्त है। कांग्रेस भी बचाव में आई और कहा भाजपा के लोग शामिल है,उन पर क्यों नहीं कहा जा रहा है। अब तो मामला पूरी तरह राजनीति के रंग में रंग दिया गया है। कभी किसी के सर पर तलवार लटकती दिखाई देती है,तो कभी किसी के सर पर लटकती है। परंतु प्रभावी अंकुश इस मामले में लगे शायद कोई भी यह नहीं चाहता, लोगों को ऐसा लगने लगा है। भाजपा सरकार ने इसे कांग्रेस के खिलाफ बड़ी दूरदर्शी राजनीति का अचूक हथियार बनाने के प्रयास में अपनी स्थानीय पुलिस के ईओडब्ल्यू विभाग से जांच कराई,कुछ परिणाम भी दिखाए। राजनीतिक रूप से बात कुछ बनी नहीं। कुछ लोगों के नाम सामने आये। 16 महीने पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने इसकी गहन जांच शुरू की। इस प्रकरण की जांच में कांग्रेसी नेताओं,पिछली सरकार के कुछ प्रभावशाली लोग के साथ पुलिस अफसर और प्रोपर्टी डीलर के नाम शामिल हैं। अलग अलग राज्यों से पुलिस ने इस प्रकरण में लगभग 400 आरोपियों को पकड़ा भी है। लोगों को आश्चर्य इस बात पर हैं कि भिलाई-दुर्ग में एक जूस सेंटर चलाने वाला मामूली युवक सौरभ चंद्राकर व रवि उप्पल इसके प्रमोटर कैसे बने और 11 हजार करोड़ का साम्राज्य इतने संबंधित विभागों व पुलिस के रहते अब तक कैसे फैला पाए ? आरोपियों में पुलिस के छोटे कर्मचारी भी पकड़ाए हैं।निश्चित रूप से समझा जा सकता है कि प्रमोटरों को सिस्टम से नो ऑब्जेक्शन अनुमति थी। उसी के सहारे वे लोग जब तक बात बिगड़े आन लाइन इस काले व्यापार की जड़ें इतनी गहरी जमा चुके हैं कि अब कोई कुछ बिगाड़ पाए, यह दम फिलहाल किसी में नहीं दिखता। सरकार में भी नहीं,ना इस सरकार में दम है ना पूर्ववर्ती सरकार में था। कल ही एक टीवी डिबेट में भाजपा के एक प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि इस काले धंधे को बन्द करना कठिन है। उन्होंने कारण भी बताया कि ये महादेव एप वाले ऑनलाइन में 350 प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहें हैं। एक बन्द करो तो दूसर का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। इस बयान में एक बात स्पष्ट हो रही है कि, वर्तमान भाजपा सरकार भी इस धन्धे को बन्द करने में अपने आपको असमर्थ पा रही है। इसके पहले की सरकार भी असमर्थ थी। इसमें अब दोष किसका है। यह कैसे कहा जा सकता है ? जब सरकारों की क्षमता में नहीं है ,तो आप कांग्रेस सरकार को दोषी कैसे व किस कारण कह रहे हैं। इसी में शंका होती है कि भाजपा की वर्तमान सरकार इस पर राजनीति कर रही है। अकेले कांग्रेस को दोषी करार दे रही है। अगर कांग्रेस की तत्कालीन सरकार दोषी है तो आज भी महादेव सट्टा बन्द तो नहीं हुआ है। तो क्या अपने आपको भी दोषी नहीं मानना चाहिए। अब वर्तमान सरकार सीबीआई को मामला सौंप कर यह बताने का प्रयास कर रही है कि वर्तमान सरकार महादेव एप के खिलाफ कार्यवाही कर रही है। लेकिन सीबीआई की जांच का दायरा इस बात पर है कि कौन कौन इसमें संलिप्त हैं या थे। उनके नाम सामने आएं। वैसे भी भाजपा बहुत पहले से ही पूर्व मुख्यमंन्त्री और उनके करीबियों पर संदेह की सुई घुमाती रही है। देखिए परिणाम उसके ही अनुरूप आते हैं या निष्पक्ष रूप से सभी नाम सामने आयेंगें, चाहे वे सिस्टम में बैठे वे प्रभावशाली लोग या विभाग ही क्यों ना हों। इन विभागों पर शक की सुई जनता की अदालत में इस कारण घूमती रही है कि इतना बड़ा खेल प्रदेश में धड़ल्ले से होता रहा और वे आराम से कैसे बैठे रहे।