Home छत्तीसगढ़ बस्तर का तेंदू चीकू को भी मात देता है

बस्तर का तेंदू चीकू को भी मात देता है

930
0

बस्तर  में पाया जाने वाला फल तेंदू चीकू को भी मात देता है.यह  स्वाद में चीकू को भी मात देताहै  जो  बस्तर में बहुतायत में उत्पादित होता है।इन दिनों बाजार में इसकी आवक भी शुरू हो गई है। सस्ता और स्वादिष्ट फल होने के कारण शहरी व ग्रामीण दोनों परिवेश में रहने वालों के बीच इसकी काफी मांग होती है। सबसे बड़ी बात, यह आदिवासियों के अतिरिक्त आय का जरिया है।गांव से लगे मैदानी जंगल या मरहान भूमि में तेंदू के पेड़ हैं। गर्मी शुरू होते ही इसमें फल आते हैं, जिन्हें लेकर ग्रामीण स्थानीय हाट-बाजार में बेचने पहुंचते हैं। नींबू के आकार के तेंदू फल दो से पांच रुपए किलो में बिकते हैं।चीकू की तरह ही इसमें दो से चार बीज और रेशेदार गुदा होता है। औषधीय युक्त इस फल का उपयोग आयुर्वेद में होता है। बस्तर के सभी इलाकों में तेंदू के पेड़ और फल पाए जाते हैं। मैदानी इलाके के फल स्वादिष्ट होते हैं प्राकृतिक रूप से इसके पौधे उगते हैं और बढ़ते चले जाते हैं। बुजुर्गों का कहना है कि बाड़ी या जंगल में उगे तेंदू के पौधों को दूसरी जगह नहीं रोपा जाता। वहां उसका विकास नहीं होता, लेकिन जहां पौधे का अंकुरण हुआ है, वहां वह तेजी से बढ़ता है, चाहे वह मैदान हो या घर बाड़ी। तेंदू का सघन जंगल नहीं होता। तेंदू के पौधे और पेड़ जंगलों की अपेक्षा मैदानी या विरल जंगल में अधिक होते हैं। गर्म या खुले स्थान में तेंदू के पेड़ ज्यादा पनपते हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here