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सूर्य का मकर राशि में प्रवेश, जानें मकर संक्रांति की पूजा विधि, स्नान का शुभ मुहूर्त और दान का महत्व

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मकर संक्रांति का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है. यह पर्व हर साल पौष महीने में मनाया जाता है. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 यानी आज मनाई जा रही. मकर संक्रांति का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है. इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे उत्तरायण की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है. हिंदू धर्म में इस दिन को पुण्य प्राप्ति, स्नान, और दान का दिन माना जाता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि मकर संक्रांति के महत्व, पूजा विधि और इस दिन के शुभ मुहूर्त के बारे में.

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति का पर्व खासतौर पर सूर्य के उत्तरायण होने के कारण महत्व रखता है. जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे उत्तरायण का आरंभ माना जाता है. हिंदू धर्म में इसे पुण्यकारी दिन के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इस दिन से सूर्य देव की गति उत्तरी दिशा में होती है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति के संकेत माने जाते हैं. इस दिन को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि कई क्षेत्रों में इस दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाई जाती है और उसका सेवन किया जाता है

मकर संक्रांति 2025 की तिथि और मुहूर्त
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी. सूर्योदय के समय सूर्यदेव 09:03 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस दिन का पुण्यकाल सुबह 08:40 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा, जिसमें गंगा स्नान और दान का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है. इसके अलावा, महापुण्य काल मुहूर्त 08:40 से 09:04 बजे तक रहेगा. इस समय में विशेष पूजा और सूर्य देव को अर्घ्य देने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन पूजा विधि का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
1. प्रभात वेला में उठना: मकर संक्रांति की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
2. घर की सफाई करना: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और घर के पवित्र स्थान पर दीपक लगाएं.
3. पवित्र नदी में स्नान: यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना या त्रिवेणी में स्नान करें.
4. सूर्य देव को अर्घ्य देना: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
5. मंत्र जाप और दान: सूर्य मंत्र का जाप करें और तिल, गुड़, या वस्त्र का दान करें.

 

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