बीते 9 जनवरी की वह बात… और आज तेजस्वी यादव की मुलाकात, बिहार ही नहीं देश की राजनीति के लिए भी एक अहम क्षण बनकर आया है. ऐसा इसलिए क्योंकि पटना के होटल मौर्य में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की मुलाकात ने कई सारे सियासी सवालों और कयासबाजियों का जवाब मिलता नजर आ रहा है. इंडिया अलायंस के लोकसभा चुनाव के साथ ही समाप्त होने को लेकर तेजस्वी यादव के बयान के बाद कांग्रेस और आरजेडी के बीच कथित दूरी की बातों पर इन दोनों ही नेताओं की मीटिंग के बाद विराम लगने की उम्मीद की जा रही है. इसके न केवल प्रदेश स्तर की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के भी एक बड़ा संकेत है.
राजनीतिक के जानकार कहते हैं कि राहुल गांधी से पटना तेजस्वी यादव की मुलाकात से बिहार कांग्रेस और महागठबंधन की खींचतान में जहां कमी होगी वहीं, महागठबंधन की मजबूती दिखेगी. दरअसल, तेजस्वी यादव के इंडिया गठबंधन के लोकसभा चुनाव में खत्म होने की बात कहने के बाद कई कांग्रेसी नेताओं के बयान आए जिसमें यह कहा गया कि कांग्रेस राजद के सामने नहीं झुकेगी. खास तौर पर बिहार में सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर कांग्रेस मुखर होती रही. आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों की हिस्सेदारी को लेकर यह मामला और आगे बढ़ा और कांग्रेस ने कह दिया कि वह 70 सीटों से कम पर लड़ने का सोच ही नहीं रही. इसके बाद तो राजद की ओर से भी बयान आए और तल्खी बढ़ती हुई दिखी थी.
कांग्रेस-आरजेडी में खींचतान पर विराम
इस बीच दोनों ही पार्टियों (कांग्रेस-राजद) के बीच खींचतान की खबरें भी सामने आईं, लेकिन अब जब राहुल गांधी पटना आए और व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की मुलाकात हुई, तो कई सारी कयासबजियों का तोड़ यहां से निकलता हुआ दिखाई दिया. सीटों की हिस्सेदारी को लेकर महागठबंधन के दलों के बीच जो खींचतान है, उसका हल कर लिए जाने के संकेत यहां से निकले हैं. कांग्रेस और राजद का गठजोड़ आगामी चुनाव में रहेगा इस बात का भी इशारा मिल गया लगता है. ऐसे में दोनों ही दलों को संकेत है कि आपस में बयानबाजियों से बचा जाए और जनता के सामने एकजुटता दिखाई जाए.