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SBI जैसे 8 बैंक डूब जाए इतना नुकसान, कंपनी का मार्केट कैप 51 लाख करोड़ रुपये घटा

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मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स का जलवा और डिमांड पूरी दुनिया में है. लेकिन, चीन के एक एआई प्रोडक्ट ने अमेरिका की टेक इकोनॉमी की मानो लंका लगा दी. दरअसल, चीन ने एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मॉडल डिपसीक डेवलप किया है, जिसकी वजह से चैटजीपीटी समेत अन्य अमेरिकी कंपनियों के एआई टूल को कड़ी टक्कर मिली है. लेकिन, इसका सबसे तगड़ा खामियाजा एनवीडिया (Nvidia Shares Tanks) को उठाना पड़ा. सोमवार को अमेरिकी बाजार में टेक शेयरों में जबरदस्त गिरावट हुई. इस दौरान एनवीडिया का शेयर 15 फीसदी से ज्यादा गिर गया और इसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 51 लाख करोड़ रुपये घट गया.

हैरानी की बात यह है कि एनवीडिया के मार्केट कैप में करीब 600 अरब डॉलर की गिरावट, अमेरिकी इतिहास में किसी भी कंपनी के लिए एक ही दिन में सबसे बड़ी गिरावट है.

कंपनी और शेयर बाजार के लिए सबसे खराब दिन

यूएस चिपमेकर कंपनी एनवीडिया के शेयरों में सोमवार को 17% की गिरावट के साथ $118.58 पर बंद हुआ. 16 मार्च, 2020 के बाद से यह एनवीडिया का बाजार में सबसे खराब दिन था. एनवीडिया अमेरिका की बड़ी टेक कंपनी है जिसने एक समय दौलत के मामले में Apple को पीछे छोड़ दिया था.

एनवीडिया के शेयरों में घबराहट और गिरावट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस स्टॉक के गिरने से नैस्डैक में 3.1% की गिरावट आई. यह अमेरिकी टेक कंपनियों से जुड़ा इंडेक्स है.

डिपसीक से एनवीडिया को क्या डर

एनवीडिया के शेयरों में बिकवाली इस चिंता से शुरू हुई कि चीन की एआई लैब डिपसीक ने ग्लोबल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में बड़ी चुनौती दी है. दिसंबर के आखिरी में, डीपसीक ने एक मुफ़्त, ओपन-सोर्स लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल का अनावरण किया, जिसके बारे में कहा गया कि इसे बनाने में केवल दो महीने से कम समय और $6 मिलियन की पूंजी लगी. इस एआई मॉडल में एनवीडिया के H800 नामक कम-क्षमता वाले चिप्स का उपयोग किया गया है.

एनवीडिया की ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स, या जीपीयू, अल्फाबेट जैसे तकनीकी दिग्गजों के साथ, अमेरिका में एआई डेटा सेंटर चिप्स के बाजार पर हावी है. मेटा और अमेज़न अपने AI मॉडल को ट्रेंड करने और चलाने के लिए प्रोसेसर पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं.

CNBC की रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिपसीक की लेटेस्ट तकनीक के जारी होने से “एनवीडिया के प्रोडक्ट्स की डिमांड प्रभावित होने और जीपीयू पर किया जाने वाला अधिकतम खर्च कम होने की आशंका है.”