लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की सांसद और विवादित नेता स्वामी प्रसाद मौर्या की पुत्री संघमित्रा मौर्य का ‘पिता प्रेम’ उनकी सियासत पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। पिछले वर्ष विधान सभा चुनाव के समय बीजेपी की पार्टी लाइन से हटकर सपा नेता और अपने पिता स्वामी प्रसाद मार्या का समर्थन करना और अब स्वामी की रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी का साथ देना भाजपा आलाकमान को रास नहीं आ रहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने स्वामी की विवादित टिप्पणी पर पिता का समर्थन करने वाली संघमित्रा को साफ कह दिया है कि अब उन्हें तय करना होगा कि भविष्य में वह किसके साथ खड़ी होंगी। एक निजी चैनल से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि संघमित्रा बीजेपी की सांसद हैं और 2019 में जनता ने उन्हें सांसद चुना है। हमारी पार्टी का हिस्सा हैं लेकिन अब आगे उन्हें तय करना है कि आगे उनकी लाइन क्या होगी। वहीं राजनीति के जानकार कहते हैं कि संघमित्रा को पता है कि अबकी बार उनको टिकट मिलना मुश्किल है, इसलिए वह नई राह तलाश रही हैं।
बता दें कि पिछले दिनों जब स्वामी प्रसाद मौर्या अपनी विवादित टिप्पणी के कारण चौतरफा घिरे थे तो उनकी बेटी और भाजपा सांसद संघ मित्रा ने पिता का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि पिता को पूरे ग्रंथ से नहीं बल्कि कुछ चौपाइंयों पर एतराज है, क्योंकि उन्होंने इसका अध्ययन किया है। गौरतलब हो संघ मित्रा ने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी पर कहा था कि उनकी बातों पर विचार किया जाना चाहिए न कि विवाद खड़ा करना चाहिए। संघमित्रा ने अपने बयान में कहा था कि यदि किसी को इस लाइन पर संदेह है तो उस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह विषय विवाद या मीडिया में बैठकर बहस का नहीं बल्कि इस पर विद्वानों को विचार करना चाहिए। ताकि यह साफ हो सके कि चौपाई का वास्तविक अर्थ क्या है। हालांकि बाद में वह इस विवाद पर किनारा करती नजर आईं थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वामी मौर्य ने पिछले दिनों रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे प्रतिबंधित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जो भी विवादित अंश इस ग्रंथ में संकलित हैं, उन्हें निकाला जाना चाहिए। तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई- ‘ढोल-गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी’ का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इस तरह की पुस्तक को जब्त किया जाना चाहिए। महिलाएं सभी वर्ग की हैं, क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रहीं हैं। लब्बोलुआब यह है कि संघमित्रा को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में टिकट कटने का अहसास हो गया है। इसीलिए वह पार्टी की लाइन से हटकर बयानबाजी कर रही हैं। हो सकता है कि संघमित्रा अगला लोकसभा चुनाव साइकिल पर चढ़कर लड़े, इसके लिए वह अभी से भूमिका तैयार करने में लगी हैं।