कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुखरता से सड़क की लड़ाई लड़ रही है। पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी के खिलाफ सूरत न्यायालय के फैसले के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता को समाप्त करने के निर्णय ने कांग्रेस पार्टी को झकझोर दिया है। दिल्ली से रायपुर तक केंद्र सरकार और संसद के निर्णय के खिलाफ मोर्चाबंदी करने की तैयारी है। रायपुर में भी आज से सत्याग्रह शुरु किया जाएगा। दूसरी ओर प्रदेश में प्रवर्तन निदेशालय के लगातार छापों ने भी प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी को परेशान कर रखा है। आज की स्थिति में कांग्रेस पार्टी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ आंदोलन करें या केंद्र की एजेंसी ईडी के खिलाफ। राजनीतिक पंडि़तों का मानना है कि राहुल गांधी प्रकरण से कांग्रेस पार्टी को फायदा मिलेगा। अभी कर्नाटक में चुनाव होने को है और इस परिस्थिति के फायदे नुकसान का परीक्षण वहां हो जाएगा। हालांकि कि कर्नाटक में लगातार दो बार सरकार नहीं बनती है, इसलिए जो परिणाम आएगा, उससे राहुल गांधी प्रकरण का असर पता लगाना मुश्किल होगा। अगर भारतीय जनता पार्टी दोबारा कर्नाटक में जीतकर आती है तब तो यह तय होगा कि कांग्रेस पार्टी के आंदोलन का और केंद्र सरकार के लोकतंत्र विरोधी होने के नारों का कोई असर नहीं पड़ा। यही हाल छत्तीसगढ़ का भी है छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की स्थिति अच्छी मोटे तौर पर देखे तो प्रदेश में सरकार के खिलाफ कोई माहौल नहीं है। दूसरी ओर भूपेश सरकार छत्तीसगढिय़ा वाद के भावनात्मक मुद्दे पर सवार होकर किसानों को खुश करने का निर्णय ले रही है। उनसे कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लौटने का विश्वास है इसलिए छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कम से कम राहुल गांधी प्रकरण का कोई असर नहीं होगा। लेकिन ईडी की कार्रवाई जिस गति से चल रही है, वह कांग्रेस को फायदा भी पहुंचा सकती है और नुकसान भी। पिछले कुछ चुनावों में यह देखने में आया है कि भ्रष्टाचार और विकास चुनावी मुद्दे तो बनते है लेकिन यह चुनाव के परिणाम को प्रभावित नहीं कर रहे हैं। मतदाता पर भ्रष्टाचार और विकास जैसे मुद्दों के बजाए भावनात्मक मुद्दे ज्यादा असरकारी होते हैं। अगर ईडी की कार्रवाई से भूपेश सरकार के प्रति ग्रामीण लोगों की सहानुभूति बन गई तो इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। रही बात राहुल गांधी के खिलाफ हुई कार्रवाई के लिए कांग्रेस के आंदोलन का तो यह मामला न्यायालयीन प्रक्रिया से उपजा है, इसलिए इसका समाधान भी न्यायालयीन प्रक्रिया से होगा। एक महीने की मोहलत उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के लिए मिली है, उस पर पार्टी को ज्यादा सोचना चाहिए।