छत्तीसढ़ में ग्रामीण एवं कुटीर उद्योगनीति लागू की गई है। इस नीति के तहत राज्य में 300 रूलर इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना की जा रही है। जब से प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार की बनी है तब से ग्रामीण अर्थ व्यवस्था का सुदृढ़ करने के प्रयास किए जा रहे है। स्वतंत्रता के पूर्व भारत के नेताओं ने यही कल्पना की थी कि देश में लघु और कुटीर उद्योग के माध्यम से स्वदेशी अर्थ नीति लागू की जाएगी। किन्तु स्वतंत्रता के बाद देश की आर्थिक नीति में ग्रामीण स्वालंबन कही गुम हो गया। यह अच्छी बात है कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने की नीति बनाई गई है। लेकिन केवल नीति बनाने से काम नहीं चलेगा। जो रीपा की स्थापना की बात हो रही है वह जमीनी स्तर पर अभी लागू नहीं हो पाया है। नीति मेें भी लघु और कुटीर उद्योग को ग्रामीण क्षेत्रों में किस-किस तरह से बढ़ावा दिया जाएगा यह भी स्पष्ट नहीं है। कुल मिलाकर जो लघु और सूक्ष्म उद्योग लगाने की योजना चल रही थी उसी का स्वरूप बदलकर उसे नया नाम दे देने से कोई लाभ नहीं होगा। जब से राज बना है तब से बड़े और मध्यम उद्योग लगाने हजारों लाखों करोड़ रूपए के समझौते किए गए, हालाकि राज्य बनने के बाद पूरे प्रदेशभर में उद्योग लगे है और यहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिला है। लेकिन पिछले चार वर्षों से बड़े उद्योग लगाने की गति मंद हुई है। प्रदेश में बेरोजगारों को भत्ता देने की योजना भी शुरू हुई है। अब इन बेरोजगारों को उद्योगों में रोजगार मिल जाए तो युवाओं को अधिक खुशी मिलेगी। छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संस्थानों की कमी नहीं है। दूसरी ओर प्रदूषण फैलाने वाले लौह और कोयला अधारित उद्योंगों की संख्या में प्रदेश में बहुत प्रगति की है जबकि आईटी, सॉप्टवेयर और इलेक्ट्रानिक जैसे उद्योग लगाने में हम असफल रहे। बिजली और स्टील का भरपूर उत्पादन करने के बावजूद प्रदेश में मोटर गाडिय़ा और मशनीरी उद्योग भी स्थापित नहीं हो पाया। बस आंकड़ों के नाम प्रदेश में कितने उद्योग लगाने के समझौते हुए का ब्योरा दे दिया जाता है। वह आंकड़ा भी पता नहीं कहा से निकालकर लाया जाता है। ग्रामीण और कुटीर उद्योगनीति से संबंधित जानकारी देते हुए बताया गया कि प्रदेश में पिछले चार वर्षों में 21000 करोड़ से अधिक का निवेश हुआ और 40 हजार लोगों को रोजगार मिला जबकि माहभर पहले विधानसभा में उद्योगमंत्री ने बताया था कि वर्तमान में 4261 करोड़ का निवेश हुआ है और 3256 लोगों को रोजगार मिला है। इस तरह की कलाबाजी से आर्थिक विकास नहीं होता, यह बात सही है कि प्रदेश में गरीबी दूर करने ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की मजबूती जरूरी है इससे लोगों की आमदनी बढ़ेगी और युवाओं का रूझान उद्यम स्थापित करने की ओर जाएगा। किसी राज्य का विकास और पहचान उसके युवा की उद्यम शीलता से भी होती है। कुटीर उद्योग नीति पर सरकार गंभीर हो और इसे व्यवस्थित रूप से लागू करने से ही परिणाम आएंगे।