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लोक सेवा आयोग पर उठते सवाल

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राज्य लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक संस्था है, इसका कार्य द्वितीय एवं तृतीय वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों की भर्ती करना होता है। इस संस्था के अध्यक्ष और सदस्यों को विशेष संरक्षण प्राप्त होता है, उन्हें पद से सरकार आसानी से हटा नहीं सकती। ऐसी शक्ति इसलिए दी गई है ताकि पदों पर नियुक्ति करते समय सरकार का उनपर दबाव न हो और निष्पक्षता से अपना कार्य कर सकें। अभी हाल में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित हुआ है। इसके सर्वोच्च पदों की सूची में अनेक नाम बड़े अधिकारियों और नेताओं के बच्चों और रिश्तेदारों के हैं। इस कारण पीएससी की कार्यप्रणाली पर संदेह खड़े हो रहे हैं। वैसे तो किसी अधिकारी या नेता के बच्चे या रिश्तेदार किसी प्रतियोगी परीक्षा में मेरिट में नहीं आ सकते, ऐसी बात नहीं है। लेकिन जब संख्या एकाएक बढ़ जाए तो संदेह उठना स्वाभाविक है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में विवाद कोई नई बात नहीं है। राज्य बनने के बाद 2003 में जो पहली परीक्षा हुई थी उसके परिणाम को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था। आयोग के अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा था। आयोग के एक सदस्य तो लंबे समय तक फरार रहे। वह प्रकरण आज भी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। अब निर्णय उक्त भारतीयों के खिलाफ आ भी जाए तो क्या होगा? जो भर्तियां हुई थी वे नौकरी करते कई पदोन्नति पा चुके हैं। उन्हें अब पद से हटाया जाना संभव नहीं होगा। अगर उस समय योग्य उम्मीदवारों के साथ नाइंसाफी हुई भी तो उन्हें तो न्याय नहीं मिला। लोक सेवा आयोग जब युवा उम्मीदवारों के विश्वास पर खरा नहीं उतरे तो यह केवल किसी संस्था की साख का प्रश्न नहीं है बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार के तहत अनुच्छेद 16 का सरासर उल्लंघन है। यह योग्यता को नकार देने वाली बात है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वर्तमान में लोक सेवा आयोग पर संदेह उभरे हैं, उनका गंभीरता से निराकरण करे। हर विषय में राजनीतिक बयानबाजी ठीक नहीं है, कभी संदेह का निराकरण भी करना चाहिए। इसके लिए हाल में जारी परिणाम में जो उम्मीदवार मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे, उनकी उत्तरपुस्तिकाओं को सार्वजनिक कर देना चाहिए। प्रत्येक उम्मीदवार अपने और अन्य सफल उम्मीदवारों के उत्तरों को मिले अंकों को देख सके। ऐसा हुआ तो आरोप लगाने वालों का संदेह दूर होगा। अगर गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लोक सेवा आयोग पर लग रहे आरोपों से दुखी हैं, इसलिए संदेह को दूर करने कोई निर्णय लें जिससे आयोग पर युवा उम्मीदवारों का विश्वास बना रहे।