लोकसभा चुनाव में अभी ग्यारह महीने बाकी हैं। लेकिन दोनों तरफ से तीरंदाजी शुरू हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चाहे जितनी गलबहियां करें, यह बात किसी से छिपी नहीं कि रूस यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका से अमेरिका और जर्मनी मोदी से बेहद खफा हैं। इसके प्रमाण अब मिलने शुरू हो गए हैं। राहुल गांधी की व्हाईट हाउस में सीक्रेट मीटिंग हुई है। ट्विटर के पूर्व मालिक जैक डोर्सी का मोदी सरकार विरोधी बयान आ गया है। उनसे राहुल गांधी की मुलाक़ात के फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। अरबपति जार्ज सोरोस का पहले ही बयान आ चुका है कि वह मोदी सरकार को हटाने के लिए सौ करोड़ डॉलर खर्च करेंगे। जार्ज सोरोस ने राहुल गांधी से बात करने के लिए उनकी भारत जोड़ो यात्रा में अपना प्रतिनिधि भेजा था। मोदी विरोधी उनके खिलाफ विदेशों से लड़ाई लड़ रहे रहे हैं । विदेशी ताकतें राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने में लग गई हैं, इधर राहुल गांधी की तरफ से नीतीश कुमार सारे विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। यानि चुनावों से ग्यारह महीने पहले विपक्ष ने मोर्चाबन्दी शुरू कर दी है। विपक्ष की पहली बैठक 23 जून को पटना में हो रही है। वैसे बैठक इमरजेंसी वाले दिन 25 जून को होती, तो अच्छा रहता। देश को पता चलता कि इमरजेंसी के खिलाफ जेल जाने वाले कौन कौन से नेता इमरजेंसी लगाने वालों के साथ खड़े हैं। सत्ता हथियाने के लिए कांग्रेस का हथियार अब वे ही नेता बन गए हैं, जो इमरजेंसी के खिलाफ जेल गए थे। अब वे ही लोग कांग्रेस के तरकश के तीर बन गए हैं। लेकिन मोदी के तरकश के तीर भाजपा का एजेंडा है। यह वही एजेंडा है जिसके कारण जनता पार्टी की सरकार टूटी थी। जम्मू कश्मीर का विभाजन करके मोदी सरकार ने चीन को भी चुनौती देने का काम किया है। इसलिए चीन भी मोदी को किसी न किसी तरह हटाना चाहता है। वह भी राहुल गांधी की मदद कर रहा है। भारत में मीडिया का एक वर्ग भी चीन के साथ खड़ा है। इसके बावजूद कि चीन ने सारे भारतीय पत्रकारों को बाहर निकाल दिया है। यहां तक कि पिछले सात दशक से चीन समर्थक बने रहे हिन्दू अखबार के रिपोर्टर को भी चीन से बाहर निकाल दिया गया है। कर्नाटक के चुनाव नतीजों ने भारत के मुसलमानों की दिशा तय कर दी है कि वे 2024 में एकजुट होकर राहुल गांधी के हाथ मजबूत करेंगे। कर्नाटक सरकार ने गौहत्या पर लगा प्रतिबन्ध हटाने की बात कह कर जनसंघ का पुराना एजेंडा जीवित कर दिया है। अब भारत के हिन्दू इन्तजार कर रहे हैं कि मोदी के तरकश में कौन सा नया तीर है। मोदी ने अपने तरकश से पहला तीर निकाल लिया है, 14 जून को उसे चल भी दिया। विपक्ष की 23 जून की मीटिग का एजेंडा इसी तीर ने सेट कर दिया है। मोदी ने विपक्ष को अपने एजेंडे में उलझाना शुरू कर दिया है। और वह एजेंडा है कॉमन सिविल कोड, जिसे हिन्दी में समान नागरिक संहिता कहते हैं।