पिछले कुछ सालों से एक वैश्विक ट्रेंड सामने आया है। अचानक से यूरोप या अमेरिका की कोई गैर-सरकारी संस्था अथवा कंसल्टेंसी फर्म एक रिपोर्ट जारी कर देती है। विडम्बना यह है कि हमारे देश की मीडिया इन रिपोर्ट्स पर आंख बंद करके विश्वास कर लेती है और बिना कोई सवाल-जवाब किये उन पर समाचार, लेख और संपादकीय प्रकाशित कर देती है। भारत का मीडिया न इन संस्थानों की पृष्ठभूमि देखता है, न उनके उद्देश्य और रिपोर्ट्स की मेथोडोलॉजी पर कोई क्रॉस चेकिंग की जाती है। अब ऐसे ही हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट आई है। यह रिपोर्ट कहती है कि भारत में साल 2023 में 6,500 अमीर व्यक्ति देश छोड़कर चले जायेंगे। इससे पहले साल 2022 में 7,500 अमीर भारतीय देश छोड़कर चले गए थे। इस पर कुछ लोग कहेंगे कि अरे देखिये, कितनी बड़ी संख्या में अमीर लोग देश छोड़कर जा रहे है। इसका मतलब देश में राजनैतिक हालत अनुकुल नहीं है और व्यापार की संभावनाएं भी समाप्त हो गयी हैं। यहां अब इन लोगों का रहना मुश्किल हो रहा है। मगर ऐसा नहीं है। वास्तव में यह सभी रिपोर्ट्स शत-प्रतिशत बिजनेस मॉडल होती है। जिसका एक मात्र उद्देश्य पैसा कमाना होता है न कि कोई सामाजिक सरोकार। अब हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन की हालिया रिपोर्ट को ही लेते हैं। इसे लंदन की कंसल्टेंसी फर्म हेनली एंड पार्टनर्स ने जारी किया है। इसके अनुसार अमीर लोग देश छोड़कर जा रहे हैं। यानी वह पहले इसी देश में रहकर अमीर बन चुके थे। इसका मतलब है कि देश के वर्तमान राजनैतिक और आर्थिक परिवेश में लोग अमीर बन रहे हैं। यहां स्थितियां उनके लिए सकारात्मक रही हैं, और अगर यह लोग वास्तव में देश छोड़ रहे है तो इसके दूसरे कारण हैं। जैसे यह लोग अपना व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। या फिर वैश्विक रूप से अपने व्यापार की उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। यह भी एक सम्भावना है कि दूसरे देश इन अमीरों को निवेश के एवज में बड़ी छूट देते हों। या फिर इनमें वे अमीर भी शामिल हैं, जो किसी भ्रष्टाचार के मामले से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गये हैं। यह सिर्फ अनुमान नहीं है, बल्कि यह फर्म खुद कहती कि 30 प्रतिशत अमीर इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन प्रोग्राम चुनते हैं। दरअसल, दुनिया के कई देश अपने यहां निवेश आकर्षित करने के लिए गोल्डन वीजा प्रोग्राम चलाते हैं। इस वीजा प्रोग्राम की अपनी एक जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। हर देश चाहता है कि ज्यादा-से-ज्यादा अमीर उनके देश में निवेश करें तो उसके बदले वे उन्हें सभी सुविधाएं देने को तैयार रहते हैं। जैसे ऑस्ट्रिया का गोल्डन वीजा लेने पर यूरोपियन यूनियन की नागरिकता मिलने का मौका मिल जाता है। नार्थ मैसिडोनिया में निवेश कीजिये और हांगकांग, जापान, सिंगापुर और यूरोप के कुछ हिस्सों में आने-जाने पर कोई रोकटोक नहीं होगी। हेनली एंड पार्टनर्स की वेबसाइट के अनुसार यह सभी देश इसके क्लाइंट हैं। यानी यह कंपनी भारत सहित दुनियाभर के अमीरों से संपर्क करती है। उन्हें इन देशों द्वारा गोल्डन वीजा के अंतर्गत मिलने वाले फायदों का लालच दिखाती है। एकबार कोई अमीर क्लाइंट उनके प्रभाव में आता है तो उससे यह पैसा बनाते हैं।