मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से धर्मांतरण का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राजधानी के टीला जमालपुरा इलाके में मोहम्मद समीर, मोहम्मद साजिद और फैजान लाला नामक मुस्लिम युवकों ने हरिजन बस्ती में रह चुके 24 वर्षीय हिंदू युवक विजय रामचंदानी का अपहरण कर उसे धर्मांतरण के लिए मजबूर किया। शासन स्तर पर मामले को प्राथमिकता से सुलझाने की प्रशंसा की जाना चाहिए किन्तु यह प्रश्न उठता है कि मध्य प्रदेश में 1968 से धर्मांतरण विरोधी कानून (धर्म स्वातंत्र्य विधेयक) है जिसे 2021 में संशोधित करके और कठोर कर दिया गया उसके बाद भी धर्मांतरण के मामले दिन-प्रतिदिन बढऩे क्यों लगे हैं? क्या धर्मांतरण में लिप्त व्यक्तियों और संस्थाओं को कानून एवं प्रशासन का डर नहीं है? हाल ही में जबलपुर के कैंट थाना क्षेत्र की विवाहित हिंदू महिला और दो बच्चों की माँ को नौकरी दिलाने के नाम पर मुस्लिम युवक द्वारा दुष्कर्म करने, धर्मांतरण करने, बुरखा पहनाकर कलमा पढ़वाने और गोमांस खिलाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। महिला से मारपीट भी की गई और जान से मारने की धमकी भी दी गई। मामला पुलिस जांच में है। वहीं बीते माह दमोह में एक स्कूल ने हाई स्कूल के परिणाम घोषित होने पर समाचार-पत्रों में पास हुई लड़कियों की तस्वीर छपवाई जिसके बाद प्रदेश में बवाल मच गया। दरअसल, विज्ञापन में शामिल हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाकर उनकी तस्वीर ली गई थी। जब शासन स्तर पर बात बढ़ी तो स्कूल पर जांच बिठा दी गई जिसमें यह तथ्य सामने आया कि स्कूल धर्मांतरण में लगा हुआ था। इस मामले में अब राजनीति भी हो रही है। इसी प्रकार नवंबर, 2022 में भोपाल के पॉश इलाके शिव नगर कॉलोनी के एक घर में ईसाई पादरियों द्वारा 15 हिंदुओं को सामूहिक रूप से प्रार्थना करवाते हुए पुलिस और हिंदू संगठनों ने पकड़ा था। इनमें मासूम बच्चों को भी बरगलाया जा रहा था। भोपाल से पहले बैतूल और रतलाम में भी ऐसे मामले सामने आए थे जहां ईसाई मिशनरी के लोग बड़ी तादाद में हिन्दुओं को प्रलोभन देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित कर रहे थे। अप्रैल, 2022 में ग्वालियर जिले में हिंदू युवती के जबरन धर्मांतरण और दुष्कर्म मामले में आरोपी मौलाना इमरान को गिरफ्तार किया गया था जिसने अपनी पहचान बदलकर हिंदू नाम से हिंदू युवती को फंसाया, उससे शादी की और फिर धर्म बदलने के नाम पर प्रताडि़त किया। मध्य प्रदेश में जबरन, दबाव डालकर, प्रलोभन देकर विधि विरुद्ध शादी तथा धर्मांतरण करवाने पर कड़े कानून के तहत अधिकतम 10 साल की कैद एवं 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा सरकार ऐसे मामलों में आरोपियों के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई भी कर रही है किन्तु धर्मांतरण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। दरअसल, ऐसे मामलों में कानून सम्मत कार्रवाई के अतिरिक्त सब कुछ होता है, राजनीति भी। पुलिस भी ऐसे मामलों पर केस दर्ज करने से बचती है। यदि पुलिस एफआईआर दर्ज भी कर ले तो धर्मांतरण के सबूत जुटाने और उन्हें न्यायालय में प्रस्तुत करने तक में इतनी राजनीति हो जाती है।