मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की अटकलें शुक्रवार को पूरे दिन लगती रहीं। शाम होते-होते बीरेन सिंह ने ट्वीट करके इस्तीफे की अटकलों को खारिज कर दिया। इससे पहले उनके घर के बाहर मुख्यमंत्री के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। बीरेन सिंह के इस्तीफे की फटी हुई कॉपी भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। ये पहली बार नहीं जब बीरेन सिंह के इस्तीफे को लेकर इस अकटकले लग रही हैं। बीरेन सिंह 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा आए। दो साल बाद राज्य में चुनाव हुए और भाजपा सत्ता में आ गई। बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। 2022 में एक बार फिर भाजपा ने सत्ता में वापसी की। हालांकि, चुनाव जीतने के बाद अटकलें लगने लगीं कि भाजपा असम की तरह मणिपुर में भी किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। बीरेन सिंह को ही दोबारा राज्य की कमान मिली। बीते अप्रैल में एक बार फिर बीरेन सिंह को हटाए जाने को लेकर खबरें मीडिया में आने लगीं। कहा गया कि उनकी पार्टी के विधायक ही उनके खिलाफ हैं। कई विधायकों ने सरकारी पदों से इस्तीफा दे दिया तो इन अटकलों को और बल मिला। लेकिन, बीरेन सिंह इसके बाद भी बने रहे। पिछले दो महीने से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है। एक बार फिर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर पद छोडऩे का दबाव है। शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से उनकी मुलाकात की खबर आते ही चर्चा शुरू हो गई की मुख्यमंत्री इस्तीफा दे सकते हैं। इसके पहले रविवार को उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को मणिपुर के हालात को लेकर 18 पार्टियों के साथ सर्वदलीय बैठक की थी। बैठक में सपा और राजद ने मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी। इसके अलावा सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की गई थी। इसी वजह से इन अटकलों को और बल मिला। पिछले तीन मई से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद बीरेन सिंह इसे रोक पाने में अब तक असफल रहे हैं। इसके चलते भाजपा पर बीरेन सिंह को हटाने के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है। 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में भाजपा के 37 विधायक हैं। सहयोगियों समेत सत्ताधारी गठबंधन के पास कुल 42 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में अगर भाजपा चाहे तो राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है। किसी नए चेहरे को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि, हालात को देखते हुए केंद्र के पास राष्ट्रपति शासन लागू करने का भी विकल्प है। इस तरह की अटकलें भी हैं कि केंद्र इस बारे में विचार कर रहा है। अभी राहुल गांधी मणिपुर का दौरे पर हैं, स्वाभाविक है, मणिपुर हिंसा को लेकर राजनीति तेज होगी। लेकिन हिंसा पर राजनीति का तेल छिड़कने के बजाय, हिंसा को रोकने पर ध्यान देने की जरूरत है। समाधान अगर मुख्यमंत्री के इस्तीफे से निकल सकता है तो एसा हो जाना चाहिए। अगर प्रदेश में राषट्रपति शासन लगाने की जरूरत पड़े तो केन्द्र को पीछे नहीं हटना चाहिए।