रायपुर .गरीबी की वजह से patek-philippe rolex watches विकलांग मानसिग कृत्रिम पैर तो नहीं लगा पाए पर हौसले बुलंद होने के कारण बाँस लकड़ी का नकली पैर बना कर लगा लिया और अब दौड़ते भागते हैं . कांकेर जिले के सुदूर ग्राम नाहगीदा के replica watches uk मानसिंग मंडावी जब ढाई साल के थे तब कुएं से पानी निकालने वाला लोहे का टेडा पैर पर cheap replica watches गिरने से चोट इतनी गंभीर आई कि पखांजूर अस्पताल में पैर काटना पड़ा। गरीबी व सुदूर गांव में रहने के कारण परिजन कृत्रिम पैर लगवा नहीं पाए, लेकिन एक पैर गवां चुके मानसिंग ने हिम्मत नहीं हारी। 12 साल की उम्र में अपने हाथ से बांस व लकड़ियों से अपने लिए कृत्रिम पैर तैयार कर लिया। शुरू में इस पैर को लगाने में थोड़ी परेशानी होती थीफिर इसमें थोड़ा परिवर्तन कर सुविधाजनक बनाया। मानसिंग की उम्र अब 35 साल हो चुकी है। लकड़ी का पैर कुछ साल चलने के बाद टूट जाता है, वह फिर से अपने लिए लकड़ी का कृत्रिम पैर बना लेता है . अब तक वह अपने लिए 10 से ज्यादा बार कृत्रिम पैर बना चुके हैं।इसी कृत्रिम पैर के सहारे मानसिंग न केवल पैदल चल लेते हैं बल्कि खेत जोतने के अलावा लंबी दूरी तक साइकिल भी चला लेते हैं।