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याद आई हार की जीत कहानी

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महान कथाकार सुदर्शन की अमर कहानी है हार की जीत, जिसमें डाकू खडग़ सिंह अपाहिज बन कर धोखे से बाबा भारती से उन,के घोड़े सुल्तान को छीन कर ले जाता है। बाबा रास्ते में एक अपाहिज भिखारी को देखते हैं, तो उसके आग्रह पर उसे अपने घोड़े पर बिठा लेते हैं, लेकिन जैसे ही अपाहिज बना खडग सिंह घोड़े पर बैठता है, तो उसके बाद वह घोड़े की लगाम छीन कर भाग खड़ा होता है। तब बाबा उसे आवाज़ दे कर रोकते हैं और कहते हैं, इस घटना के बारे में किसी को मत बताना। लोगों की इस घटना के बारे में पता चल गया, तो लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे। बाबा भारती की बात खड्ग सिंह को लग गई। दूसरे दिन वह घोड़ा लेकर बाबा के पास आता है और उनके घोड़े को चुपचाप उनके अस्तबल में बांध कर निकल जाता है। उस वक्त उसकी आँखों में नेकी के आँसू थे। सुबह अपने घोड़े को पाकर बाबा प्रसन्न हो कर कह उठते हैं, अब कोई गरीब की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा। इस कहानी को मैं आलोक मौर्य और योति मौर्य के घटना क्रम से जोड़कर देखता हूँ। आलोक सफाई कर्मी है, उसने शादी के बाद अपनी पत्नी को पढ़ाया , अछी कोचिंग दिलवाई तो योति पीएससी की परीक्षा पास करके एसडीएम बन गई।लेकिन उसके बाद योति बदल गई। उसका किसी अन्य अधिकारी से प्रेम हो गया। फिर उसने अपने पति से छुटकारा पाने के लिए तेरह साल बाद दहेज का मामला दर्ज करवा दिया। उसका पति रोते बिलखते घूम रहा है और पत्नी की बेवफाई के बारे में सबको बता रहा है। आश्चर्य है कि वर्षो तक आलोक की पत्नी को पति के सफाईकर्मी होने के बारे में पता नहीं चला। जब वह एसडीएम बन गई, तब उसे ज्ञात हुआ कि उसके पति ने झूठ बोला था। कमाल है पति सफाईकर्मी है, इसका मतलब यह तो नहीं कि पढ़ी-लिखी पत्नी किसी अन्य व्यक्ति से अवैध संबंध कायम कर ले, जो पहले से ही शादीशुदा है। अगर पति पसंद नहीं तो तलाक ले लेना था। किसी अन्य मर्द से अवैध संबंध क्यों बनाना ? यह भारत है, यहां इस तरह की अपसंस्कृति को समाज मान्यता नहीं देता। विदेश में शायद यह जायज हो। अलोक और योति मौर्य काण्ड के बाद दो मामले और सामने आए जिसमें पतियों ने अपनी पत्नियों को पढ़ाया-लिखाया और जैसे ही पत्नी की नौकरी लगी, पत्नियों ने उनसे दूरी बढ़ा ली। नतीजा सामने है। अब तो अनेक पति अपनी पत्नियों को आगे पढऩा ही नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी पत्नियाँ भी कहीं अंत में योति मौर्य न साबित हो जाएं। अगर योति मौर्य डाकू खड्ग सिंह की तरह उदारता दिखती और पति के साथ किसी तरह निर्वाह करके बनी रहती या चुपचाप तलाक ले लेती तो मामला उतना बड़ा नहीं बनता। लेकिन अब हर उस पति के दिमाग में यह बात घर कर गई है कि कहीं एक दिन उनकी हालत भी आलोक मौर्य जैसी न हो जाए। किसी भी सामाजिक घटना का समाज में रह रहे लोगों की मानसिकता पर असर पड़ता है। अगर योति नैतिकता दिखती और खड्ग सिंह की तरह नैतिकता का घोड़ा बाबा भारती रूपी आलोक मौर्य के आंगन में बाँधे रखती, तो आज जो विवाद सार्वजनिक हो गया है, वह नहीं होता। लेकिन अब नैतिकता है एक किताबी शब्द बन कर रह गया है। वह शब्दकोश की शोभा है बस! यह मौका पाकर धोखा देने का क्रूर समय है. योति मौर्य ने यही किया। उसके अश्लील चैट, कॉल उसके क्रूर और पतित चरित्र को बताने के लिए पर्याप्त है लेकिन मज़े की बात, अनेक मॉड औरतें योति के पक्ष में हैं।यह पक्षधरता बता रही हैं कि हमारा समाज किस तरफ जा रहा है, या जा चुका है. मगर यह सन्तोष की बात है कि असामाजिक मूल्य अभी पूरी तरह से मरे नहीं हैं क्योंकि अनेक औरतें योति की निंदा भी कर रही हैं।