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छत्तीसगढ़ में 190 जवानों की हत्या करने वाला नक्सली लीडर मड़कम देवा का सरेंडर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में 190 जवानों की हत्या करने वाला इनामी नक्सली लीडर मड़कम देवा ने सरेंडर कर दिया है। मड़कम देवा उर्फ भगत ने एपी पुलिस के सामने सरेंडर किया है। मड़कम देवा पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। सरेंडर के बाद नक्सली लीडर को 5 लाख रुपये की इनाम राशि दी जाएगी। मड़कम देवा उर्फ भगत 17 साल से ज्यादा समय से अलग अलग नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है। इंजरम गांव के माओवादियों द्वारा सल्वाजुडेम शिविर पर हमले सहित 12 से अधिक गंभीर अपराधों में आरोपी है। पुलिस अधिकारी के अनुसार, उसने एएसआर जिला अधीक्षक तुहिन सिन्हा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
साल 2005 में नक्सल संगठन से जुड़ा देवा- साल 2005 में देवा कोंटा और दोरनापाल क्षेत्र समितियों के प्रभारी नक्सली नेता विजय के साथ गनमैन के रूप में तैनात किया गया था और 2007 तक काम किया। साल 2008 में, देवा को 8वीं कंपनी में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां उसने एक अन्य माओवादी नेता सिंगन्ना की कमान में एक साल तक काम किया, जिसने 2012 में आत्मसमर्पण कर दिया था।
सुकमा की नक्सली सदस्य से की शादी- 2009 में, देवा ने अपनी टीम के सदस्यों में से एक, मादिवी मल्ले उर्फ गंगी से शादी की, जो छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के किस्टाराम पुलिस स्टेशन क्षेत्र के तहत मेट्टागुडेम गांव की मूल निवासी थी। इसी साल अगस्त सितंबर में पहली बटालियन का गठन किया गया और देवा को पहली कंपनी की दूसरी प्लाटून में सेक्शन कमांडर के रूप में तैनात किया गया। मार्च 2010 में बटालियन कमांडर मादिवी हिदुमा ने देवा को पीपीसीएम के रूप में पदोन्नत किया और उसे बटालियन के आपूर्ति टीम कमांडर के रूप में तैनात किया। सितंबर 2013 में, देवा को कंपनी पार्टी समिति के सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया था।
इन बड़ी घटनाओं में शामिल था सरेंडर नक्सली- देवा 2004 में कोंटा सहित माओवादियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में शामिल था, जिसमें लॉरी में यात्रा कर रहे 12 पुलिसकर्मी मारे गए थे। साल 2006 में, इंजरम गांव के माओवादियों द्वारा सल्वाजुडेम कैंप पर हमले में शामिल था, जिसमें दो सुरक्षा बल के जवान और 4 ग्रामीण मारे गए थेसाल 2006 में ही बड़े नक्सली हमले में शामिल था जिसमें 7 सीआरपीएफ कमांडो मारे गए थे। वर्ष 2008 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा गांव के पास मिनपा गांव में तीसरी कंपनी और 8वीं कंपनी सहित माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में शामिल था, जिसमें 12 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे।वर्ष 2009 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा गांव के पास, सिंगन्ना मडुगु गांव में पहली बटालियन सहित माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में शामिल थे, जिसमें 6 कोबरा कमांडो मारे गए थे। वर्ष 2010 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा थाने के पास पहली बटालियन और दूसरी सीआरसी जरमेटा गांव में माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में शामिल था, जिसमें 76 सीआरपीएफ कमांडो मारे गए थे।2014 में सुकमा जिले के चिंतागुप्पा थाने के पास कसालपाडु गांव में पहली बटालियन सहित माओवादियों द्वारा लगाए गए हमले में भी शामिल था, जिसमें 14 सीआरपीएफ कमांडो मारे गए थे।
नक्सली विचारधारा से परेशान होकर किया सरेंडर- एपी पुलिस ने बताया कि सरेंडर नक्सली मड़कम देवा नक्सल सिद्धांतों से परेशान और गैर-आदिवासी सदस्यों के खिलाफ भेदभाव से निराश था। इसी वजह से उसने सरेंडर करने का फैसला किया।