Home इन दिनों मोदी ने किया नीतीश और बादल का जिक्र

मोदी ने किया नीतीश और बादल का जिक्र

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एनडीए के विस्तार में जुटे भाजपा के अभियान के बाद जिन दो राजनीतिक दलों की एनडीए के पाले में वापसी को लेकर लगातार और बार-बार कयास लगाए जा रहे हैं, वह दोनों ही दल अभी तक इस बारे में कोई अंतिम फैसला शायद नहीं कर पा रहे हैं। स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल जिसे उनके देहांत के बाद आजकल उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल चला रहे हैं और दूसरा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड। यह दोनों ही राजनीतिक दल भाजपा के पुराने सहयोगी रहे हैं। भाजपा पंजाब और बिहार में इन दलों के साथ मिलकर लंबे समय तक सरकार चला चुकी है और यह दोनों ही राजनीतिक दल केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार में भी शामिल रह चुके हैं लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से आज अकाली दल और जेडीयू, दोनों ही एनडीए से दूर हो चुके हैं। भाजपा का साथ छोडऩे के बाद नीतीश कुमार देशभर में 2024 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को हराने के मंत्र के साथ विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में लगे हुए हैं तो वहीं सुखबीर सिंह बादल एनडीए और विरोधी दलों के गठबंधन दोनों से अलग हटकर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर पंजाब में अपने पुराने गौरवशाली दिनों को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा ने न तो किसी दल को एनडीए से जाने को कहा है और न ही आने को कहेगी, यह फैसला इन दोनों दलों के नेताओं को करना है कि वह फिर से भाजपा के साथ आना चाहते हैं या नहीं? हालांकि जेडीयू और अकाली दल लगातार भाजपा के साथ फिर से जाने की खबर पर इंकार करने का ही स्टैंड अपनाए हुए हैं लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं कमान संभालते हुए नीतीश कुमार और बादल परिवार दोनों को ही या यूं कहें कि जेडीयू और शिरोमणी अकाली दल को भाजपा के त्याग की याद दिलाते हुए कहा है कि एनडीए स्वार्थ नहीं त्याग की भावना से बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एनडीए सांसदों की कलस्टरों की बैठक में एनडीए को त्याग की भावना से बना गठबंधन बताते हुए यह कहा कि विधायकों की कम संख्या होने के बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार को बिहार में मुख्यमंत्री बनाया। उन्होंने बादल परिवार को भी भाजपा के त्याग की याद दिलाते हुए कहा कि पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में भाजपा विधायकों की अच्छी खासी संख्या होने के बावजूद भाजपा ने उपमुख्यमंत्री का पद नहीं मांगा।