कभी किसी आयोजन में किसी व्यक्ति द्वारा भारत माता की जय बोलने मात्र से बुरी तरह उखड़ जाने वाले बसपा सांसद दानिश अली इन दिनों फिर चर्चा में हैं। पिछले दिनों संसद में भाजपा के सांसद रमेश बिधूड़ी ने उनके विरुद्ध कुछ अपशब्द कह दिए। जैसे आतंकवादी, उग्रवादी आदि-आदि । उनके ये शब्द संसद की कार्रवाई से विलोपित हो गए हैं और उनको चेतावनी भी दी गई है कि दोबारा ऐसी गलती न करें। बेशक भाजपा सांसद को संसद की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए और ऐसे कटु शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, लेकिन प्रश्न यह भी उठना है कि आखिर भाजपा सांसद बोलते-बोलते ऐसे उत्तेजित क्यों हो गए? तो मुझे जैसी जानकारी मिली है, उसके अनुसार जब भाजपा सांसद अपना भाषण दे रहे थे और चंद्रयान की सफलता के लिए वैज्ञानिकों के साथ प्रधानमंत्री मोदी की विशेष तारीफ कर रहे थे, तब उनके पीछे बैठे हुए बसपा सांसद दानिश प्रधानमंत्री मोदी को नीच कह रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि नीच को क्या हम नीच नहीं कहेंगे। अगर यह बात सत्य है तो दुर्भाग्यजनक है । इस कृत्य के लिए बसपा सांसद पर भी कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। मैं आश्चर्यचकित हो जाता हूं यह सोचकर कि कैसे हमारे देश के कुछ घटिया नेता प्रधानमंत्री के विरुद्ध आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं । कोई उन्हें गंदी नाली का कीड़ा कहता है, कोई कहता है कुत्ते की मौत मरेगा। बर्खास्त होने के बाद दोबारा बहाल हुए सांसद राहुल गांधी ने तो अपने एक भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साफ-साफ चोर ही कह दिया था। ऐसे तो जाने कितने नेता हैं, जिन्होंने मोदी से चिढ़ कर उनको भयंकर गालियां दी हैं। दानिश ने मोदी जी को नीच कहा तो भी बिधूड़ी इसे बर्दाश्त नहीं कर पाए और उत्तेजित होकर संसद में बसपा सांसद के खिलाफ अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल कर दिया। बस बसपा सांसद को मौका मिल गया कि मेरा अपमान हो गया। मगर यह सांसद भूल गया कि उसने कभी भारत माता का भी अपमान किया था। आखिर क्या कारण था कि वह भारत माता की जय के नारे को सुनकर उत्तेजित हो गया और कहने लगा कि सरकारी आयोजन में भारतीय जनता पार्टी का नारा नहीं चलेगा । हद है। भारत माता की जय भाजपा का नारा नहीं है। यह से राष्ट्र के कोटि-कोटि लोगों का नारा है। और कोई शख्स अगर भारत माता की जयबसे परहेज करता है, इसका मतलब साफ है कि वह इस देश से प्यार नहीं करता । इस मिट्टी से उसका कोई लगाव नहीं है। अगर उसे हम देशद्रोही भी कहें तो मेरे ख्याल से यह गलत बात नहीं होगी। मैंने वह वीडियो देखा है, जिसमें एक सरकारी आयोजन में जब मंच पर खड़े सरदार जी ने भारत माता की जय का नारा लगाया, तब नीचे खड़े बसपा सांसद गुस्से में खड़े हो गए और कहने लगे कि यह भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम नहीं है। यहां ऐसे नारे नहीं लगा सकते। गोया सरकारी आयोजन में भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद के नारे लग रहे थे। वहां भारत माता की जय का नारा लगाया गया था और यह नारा सरकारी या गैर सरकारी आयोजन में भी लग सकता है। कहीं भी,कभी भी लगाया जा सकता है। अगर किसी को इस नारे से दिक्कत है तो इसका मतलब साफ है कि वह इस देश का प्रेमी नहीं है। मैं आश्चर्य करता हूं कि कैसे ऐसे देशविरोधी भी सांसद बन जाते हैं। बेशक भाजपा सांसद को संसद के भीतर बसपा सांसद को उग्रवादी या आतंकवादी नहीं कहना चाहिए था। इसके लिए उन्हें खेद भी व्यक्त करना चाहिए। लेकिन उनकी उत्तेजना के कारण को भी हमें नहीं भूलना चाहिए कि बसपा संसद ने प्रधानमंत्री मोदी के विरुद्ध आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया था।