Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ के वनांचलों के गावों में आज भी धान कुटाई के...

छत्तीसगढ़ के वनांचलों के गावों में आज भी धान कुटाई के लिए चलते हैं मूसर

463
0

रायपुर .छत्तीसगढ़ के वनांचलों के गावों में आज भी cheap replica watches परंपरागत धान कुटाई के लिए मूसर का उपयोग कई ग्रामीण परिवारों के द्वारा किया जाता है। यही कारण है कि आज भी वनांचल क्षेत्र के बाजारों में धान कुटाई करने के लिए मूसर बना replica watches UK बनाया बिकता है जिसकी खरीदी भी जरूरतमंद लोग करते है।  कई गांव जंगलों से घिरे है तथा कई गांवों के पास में ही जंगल है जहाँ  से अनेक परिवार मूसर के लिए लकडी ले आते है . उल्लेखनीय है कि जिले में सघन वनों की कमी नहीं है Cartier replica watches और कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे है जहॉं के परिवार खेती के सीजन को छोड़कर शेष समय में जंगलों पर ही निर्भर रहते है ऐसे गांवों में विकास व सुविधाएं नहीं पहुंच पायी है। कई दुरस्थ व वनांचल क्षेत्र के गॉव ऐसे है जहां पर धान की कुटाई के लिए आज भी कई परिवार परंपरागत धान कुटाई का तरीके का इस्तेमाल कर रहे है। कई गावों के लोगों के द्वारा आज भी ढेंकी व मूसर से धान की कुटाई करते देखते जा सकते है। जिले में आधुनिक सुविधाओं से दूर कई गॉंव ऐसे है जहॉं के लोग सुबह उठने के साथ ही भोजन पकाने के लिए चावल तैयार करने में जुट जाते है। सुबह होने के साथ ही घर की महिलाएॅं मूसर से धान की कुटाई करना शुरू  कर देते है और एक दिन के लिए चावल तैयार कर लेते है इसके अलावा किसी आयोजन के दौरान कई दिन तक धान कुटाई मूसर से करते है। ऐसे ग्रामीण परिवारों के अनुसार ढेकी या मूसर से धान का चावल निकालते है तो उसका स्वाद अलग ही रहता है जबकि मशीन से धान कुटाने पर चावल का स्वाद थोड़ा अलग हो जाता है। परंपरागत रूप से धान कुटाई में मेहनत तो है लेकिन उसका स्वाद वास्तविक है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here