Home बाबू भैया की कलम से मजबूत विपक्ष ही प्रजातंत्र का असली आनंद

मजबूत विपक्ष ही प्रजातंत्र का असली आनंद

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जैसी भाषण बाजी इस आम चुनाव में देखने में आ रही है,ना कभी देखी ना सुनी,या तो मुफ्त की बाजीगरी की जा रही है,या उल जलुल आरोप प्रत्त्यारोपों की बौछार दोनों प्रमुख दलों में देखी जा रही हैं। पुराने दौर के नेताओं में कम से कम कुछ नैतिक प्रश्न उठा कर जन समस्या की बात तो की जाती थी। अभी के भाषणों में माले मुफ्त की बातें ज्यादा हो रही हैं,या भावनात्मक बातों को उभार कर भावनाएँ भड़का कर उसे वोट में तब्दील करने का प्रयास किया जा रहा है। मुद्दे सब गौण हो गए हैं ,मतदाता ये सब देख एकदम मौन हो गया है। दोनों प्रमुख दल कुछ मुद्दों की बात कर रहे हैं तो ज्यादा बात घटनाओं व विपक्ष के बोले वचनों का जवाब देने में लग गए हैं। अग्रेसिव कौन होगा डिफेंसिव मुद्रा में कौन होगा इसकी होड़ लगी हुई है। आरोप ऐसे उल जलूल लगा दिए जा रहे हैं जिसका बचाव करने दूसरे को जवाब देना जरूरी हो जाता है। कांग्रेस कह रही है भाजपा के लोग सरकार में आये तो संविधान बदल देंगे,आरक्षण समाप्त कर देंगें, इस आरोप का जवाब देने भाजपा मजबूर हो गई। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से बयान देना पड़ा कि आरक्षण पर कांग्रेस झूठ फैला रही है। प्रधान मंत्री ने कहा कि आपका मंगल सूत्र छीन लेंगें तो कांग्रेस को कहना पड़ा कि मोदी देश में झूठ बोलते फिर रहे हैं। इसी की होड़ है कि कौन पहले कुछ आरोप लगाएं और किसको जवाब देने मजबूर होना पड़े। यही खेल इस राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे आम चुनाव में देखने में आ रहा है। भाजपा स्पष्ट रूप से अपने हिदुत्व के एजेंडे पर खुलकर आ गई है। प्रधानमंत्री स्वयं हिन्दू मुस्लिम के एजेंडे पर खुल कर सामने आ गए हैं। अपने भाषण में उन्होंने इशारे में वो सब कह दिया जो अधिकांश भारतीय मानस को शायद पसन्द नही। उन्होंने कहा कांग्रेस आपकी माताओं बहनों का मंगल सूत्र व गहने जमीन जायदाद छीन कर जिनके ज्यादा बच्चे होते हैं उन्हें बांट देंगी ,उन्होंने तो यहां तक कह दिया की कांग्रेस यह सब घुसपैठियों में बांट देगी। अगर उनका इशारा देश के अल्पसंख्यक मुसलमानो की ओर है तो एक तरह से उन्होंने साफ कह दिया कि भारत के मुस्लिम उनकी नजर में घुसपैठियों की श्रेणी में हैं। भविष्य के अनुमानों पर दिए जा रहे भाषण अनुयायियों को भले ही अपने अपने मायनों में अच्छे लग रहे हों लेकिन जनता के हितों से व जनसेवा ,राष्ट्रसेवा से इसका दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं दिख रहा। बस अपने अपने वोटों को अपने पाले में रखने की कवायद मात्र साबित हो रहा है। जनता सोचती है की 70 सालों में 55 साल कांग्रेस व 15 साल अन्यों का देश में शासन रहा आज तक तो किसी ने हमारी प्रॉपर्टी नहीं छीनी ना ही किन्हीं को बांटी है। अब अचानक ऐसा क्या हो गया, या हो जाएगा कि कोई हमारी सम्पति को अपने हाथ में कर लेगा और बांट देगा। वो राजा महाराजों के दौर में भी आसानी से संभव नहीं था। अब अपने और अपनों के राज में ऐसा कौन सा राजा पैदा हो गया है जो जनतंत्र में प्रजा की ताकत को नहीं समझ पा रहा है। सबको समझ लेना चाहिये कि देश की जनता जितना प्यार करते हुए गद्दी पर बैठाना जानती है ,उतनी ही क्रूरता से उतारना भी जानती है। इन सबके बावजूद आज कोई ऐसा विकल्प नहीं दिखाई देता जो वर्तमान को डिगा सके और नया भारत का भाविष्य अपने मायनों में रच सके। हिदुत्व , सनातन धर्म व कथित राष्ट्रप्रेम का नारा तथा भड़की हुई भावनाएं हिन्दू जनों को एक मंच पर लाती जा रही है। विपक्षी दलों की मु_ी बन्द नहीं हो पा रहीं हैं। पंजा फैल कर पांच अलग अलग उंगलियो में बंटा हुआ साफ दिखाई दे रहा है। राष्ट्र के मतदाताओं में दुविधा की स्थिति है। हिन्दू- हिदुत्व के पाले में एकजुट हुए दिख रहे हैं। शेष जन जाएं तो जाएँ कहां की स्थिति में इस राजनैतिक चौराहे पर भ्रमित खड़े हैं। इसीलिए भक्तगण कह रहे हैं कि आएगा तो मोदी ही अपनी खुद की मोदी की गारंटी के साथ आएगा, तो क्या गलत कह रहे हैं ? अनेक लोगों का मत है कि आये भले ही मोदी ही,सरकार भी बनाएं, पर विपक्ष भी इतना ताकतवर हो कि सरकार के कान पकडऩे व उसकी बाहें पकड़ कर उसे मनमानी से रोक सके तब प्रजातंत्र का असली आनंद है। पर सिर्फ सोचने से क्या होता है उसके लिए जनता को जागना पड़ेगा।