Home बाबू भैया की कलम से चुनाव परिणाम : ना खुशी ना गम, जैसा बोया वैसा पाया

चुनाव परिणाम : ना खुशी ना गम, जैसा बोया वैसा पाया

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भारत की जनता का मानस समझना किसी के बुते की बात नही ,यह इस चुनाव के परिणामों ने साफ कर दिया है। वाकई भारत की जनता की समझ को नमन है। ना किसी को हंसने का मौका दिया ना किसी को मुंह ढंक कर रोने का,सबको बराबर की खुशी दे दी। वाह री भारतीय जनता तुझे पुन: प्रणाम। भाजपा को स्पष्ट मौका नहीं दिया लेकिन एनडीए को बहुमत के जादुई आंकड़े को छूने दिया। कांग्रेस को सरकार बनाने के आंकड़े से बहुत दूर रखा तो एनडीए के साथियों के साथ इतना ताकतवर विपक्ष बनने का भरपूर खुला मौका दे दिया कि सरकार के गलत व जिद भरे कामों में भरपूर अड़ंगा लगा सके। 99 सीटों के आंकड़े के साथ कांग्रेस को संसद में नेता प्रतिपक्ष का दावा प्रस्तुत करने का मौका प्रदान किया तो सपा के अखिलेश यादव को 37 सीटों के साथ संसद में तीसरी बड़ी पार्टी का तमगा भी दे दिया। वाह री भारत की सचेत सजग जनता। तुमने जता दिया कि तुम ही प्रजातंत्र के असली राजा हो जो जिसकी जितनी कूबत उतना काम सौंप सकते हो। तुमने देश के इस आम चुनाव में ऐसे ऐसे फैसले किये ,जिसमे पांच साल से लेकर दस साल का पूरा हिसाब बोलने कहने वालों को चुका दिया। तुमने साबित कर दिया कि अति का अंत होता ही है। चुनाव के दौर में भाजपा तो कहीं थी ही नहीं ,सिर्फ मोदी थे, उनकी गारंटी थी और थी उनकी भाषण की भाषाशैली। भारत की जनता के धन्यभाग्य जो उन्हें वह सब सुनना देखना पड़ा जो कभी नहीं सुना-देखा था। जनता ने सुना मोदीजी कह रहे हैं ये कांग्रेस वाले आपकी भैंस खोल कर ले जायेंगें। जिनके घर भैंस नहीं थी उन्होंने सोचा हमारे तो भैंस है ही नहीं तो क्या खोलेंगे,मोदीजी झूठ बोल रहे हैं। राममंदिर का डंका ऐसा पीटा, इतना पीटा कि अधिसंख्य जनता नाराज हो गई। खास कर अयोध्या (फैजाबाद) की जनता ने तो सबक ही दे दिया अयोध्या की सीट ही हार गए। जनता ने आपको समझाने का प्रयास किया है कि ज्यादा राममंदिर-राममंदिर मत करिये। आपने अपनी जिद में हमारे धर्म गुरुओं शंकराचार्यों तक को अपशब्द कहलवा दिए। भारतीय जन मानस जिनके मार्गदर्शन में अपना जीवन जीता था, उनका खुला अपमान करवा दिया और एक शब्द भी नहीं कहा। धर्म प्रेमी अधिसंख्य जनता नाराज हुई। हिन्दू-मुस्लिम का खेल खुले मंच पर किया,मुसलमान शब्द का खुला इस्तेमाल किया ताकि हिन्दु समाज उनको संकटकाल में भरपूर मदद करे। उन हिंदुओं के बड़े वर्ग को यह पसंद नहीं आया ,जो गंगा जमुनी संस्कृति में खुश रहने के आदि हो चुके है। पीढिय़ों से राम-रहीम में कोई फर्क नहीं करते। इससे हुआ ये कि सीधे मुसलमान के विरोध को देख डर-भय में मुस्लिम तो एक हो गए,एकतरफा वोट कर गए। हिन्दू वर्ग दो भाग में बंट गए एक जो कट्टरता के साथ रहे। दूसरे जो गंगा जमुनी संस्कृति को पसंद करते आ रहे हैं। मोदी जी ने कहा कांग्रेस वाले आपकी माताओं -बहनों का मंगलसूत्र छीन कर ले जायेंगें और ज्यादा बच्चों वालों में बांट देंगें। जनता ने इस बात को सुना सोचा , कैसे कोई हमारी माताओं बहनों के गले से मंगलसूत्र छीन ले जाएगा। हमने चूडिय़ां थोड़े ही पहन रखी है। यह जनता ने चुनौती के रूप में ले ली। हिन्दू मुस्लिम करने के चक्कर में हिन्दू एक नहीं हुए बल्कि बंट गए। अंत में अपने आपको भगवान का अवतार तक बताने व ईश्वर के कहने पर ही मैं सब कुछ करता हूं, कहने का उल्टा ही असर हुआ। अंधभक्तों को छोड़ आम लोगों ने भगवान का अवतार मानने से इनकार किया। और भी बहुत सी बातें जो प्रधान मंन्त्री ने बहुत ही हल्की भाषा में मंचों से कही जनता ने भी उसे बहुत हल्के में लिया। और खेला हो गया। बहुमत मिल भी गया और नहीं भी मिला। मनमानी कर पाने वाला बहुमत नहीं मिला,दूसरों के दबाव में गठबंधन की सरकार चलाने का जनादेश जरूर हासिल हो गया। राजा आप होंगे और आपकी डोर कई हाथों में होगी। बिना बाधा बिना सलाह कुछ भी एकतरफा निर्णय करने की शक्ति क्षीण हो गई। अब रात को हथेली बजा कर नोटबन्दी,मनमानी निर्णय करने की क्षमता भी नहीं होगी। बहुत से बंधन महसूस करने होंगे। गठबंधन की राजनीति का दर्द अलग प्रकार का होता है। दंभ-गर्व-अभिमान सब छोडऩा पड़ता है। नीतीश बाबू-चंद्रबाबू नायडू जैसे राजनीति के महारथियों के सहारे सरकार चलाने का अर्थ समझ में आएगा। अल्पसंख्यक आरक्षण के समर्थक चंद्रबाबू के साथ कंधा मिला कर खड़ा होना पड़ेगा, आलोचनाएं सहनी पड़ेंगी। नीतीश बाबू को साधना एक कठिन काम होगा। उन्हें सहेज-सम्हाल कर रखना होगा। सरकार तो बनेगी लेकिन अपनी नहीं गठबंधन की ही बनेंगी। ऐसी स्थिति में विपक्ष की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। बड़ी ताकत के साथ इंडिया गठबंधन संसद में ‘टेल ट्वीस्टरÓ (पूंछ उमेठने)की भूमिका में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में होगा। राहुल गांधी-तेजस्वी यादव-अखिलेश यादव जैसे युवा नेतृत्व संसद में अपनी महती भूमिका में होंगें। समझे सुलझे हुए नेतागण उनके पीछे होंगें तो निश्चित ही देश का वह सपना साकार होता हुआ दिखाई देगा, जिसका सपना सब देख रहे हैं , कि यह देश अब युवा नेतृत्व के हाथों में ही सुरक्षित होगा। हमने सरकार बनाने का रास्ता तो उन्ही का खोल दिया है, भले ही कुछ बंधनों के साथ खोला जिन्हें सरकार बनाने की इच्छा थी, और वे कुछ कर दिखाना चाह रहे थे। साथ ही हमने उनकी मनमानी रोकने एक तगड़ा विपक्ष भी तैयार कर संसद भेज दिया है। देखना होगा अगला साल देश के लिए पवित्र संसद से क्या क्या निकल कर आता है ,जो आम जन मानस को सुकून दिला सके।