पर्सनल लोन एक सुविधाजनक वित्तीय विकल्प है, जो तत्काल धन उपलब्ध कराने में मदद करता है. यह अनसिक्योर्ड कर्ज़ है. यानी इसे बिना कुछ गिरवी रखे लिया जा सकता है. यही वजह है कि इमरजेंसी में पैसे का जुगाड़ करने को इसका खूब इस्तेमाल होता है. लेकिन, आपको जानकार हैरानी होगी कि छोटे पर्सनल लोन (10000 रुपये से कम) को चुकाने में ही लोगों के सबसे ज्यादा पसीने छूट रहे हैं. फिनटेक बैरोमीटर रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2023 से जून 2024 के बीच लिए गए इन ऋणों में डिफॉल्ट की दर सबसे अधिक रही. रिपोर्ट में कहा गया है कि लोन लेने वालों के क्रेडिट स्कोर की निरंतर निगरानी और व्यावसायिक ऋणों में मूल्यांकन की खामियों को दूर किया जाना चाहिए. अनसिक्योर्ड लोन वृद्धि को बढाने के लिए यह अति आवश्यकत हैं.
सीआरआईएफ हाई मार्क एंड डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी फिनटेक बैरोमीटर (वॉल्यूम II) के अनुसार, दिसंबर 2023 से जून 2024 के बीच पर्सनल लोन लेने वाले उधारकर्ताओं में डिफॉल्ट की दर में 44% की वृद्धि हुई. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने व्यक्तिगत ऋणों के बाजार हिस्से में मूल्य और मात्रा दोनों के मामले में विस्तार किया है. छोटे ऋणों की बढ़ती संख्या डिजिटल लेंडिंग के जरिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के प्रयासों को तो दर्शाती है, लेकिन इनकी डिफॉल्ट दर चिंता भी पैदा कर रही है.
अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन मांग स्थिर
अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन (UBL) और प्रॉपर्टी ऋण (LAP) श्रेणियों में 10 लाख रुपये से कम के ऋणों की मांग स्थिर रही. शीर्ष 100 शहरों से बाहर के क्षेत्रों ने 42% मूल्य और 44% मात्रा में योगदान दिया, जो छोटे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है.
जोखिम और क्रेडिट स्कोर पर जोर
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उच्च और बहुत उच्च जोखिम वाले ऋण पोर्टफोलियो में गिरावट आई है, लेकिन कम क्रेडिट इतिहास वाले और क्रेडिट स्कोर न रखने वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है. हालांकि ये समूह जोखिम भरे हैं, लेकिन इन्हें औपचारिक क्रेडिट प्रणाली में लाने से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता है.