पाकिस्तानी सबमरीन पीएनएस गाजी विशाखापत्तनम के करीब भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत को निशाना बनाने के लिए इंतेजार कर रही थी. नौसेना के वॉरशिप INS राजपूत ने तो उसे हमेशा के लिए समंदर की गहराई में सुला दिया था. लेकिन खतरा तो हमेशा बना ही रहता है. समंदर के नीचे दुश्मन क्या हरकत कर रहा है? भविष्य में ऐसा फिर से ना हो, इस लिए नौसेना ने एंटी सबमरीन वॉफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट को शामिल करने के बड़े प्लान को आगे बढ़ा चुकी है. साल 2025 में भारतीय नौसेना को 2 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट को मिल जाएंगे.
बेहद खास है यह क्राफ्ट
ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट की खासियत है तट से 100 से 150 नॉटिकल मील दूरी के घात लगाए बैठे दुश्मन के सबमरीन के ठिकाने लगा सकती है. सबमरीन का इस्तेमाल डिफेंसिव और ऑफेंसिव ऑपरेशन के लिए किया जाता है. वह आसानी से 30-40 मीटर की गहराई वाले इलाको में ऑपरेट कर सकती है. दुश्मन के सबमरीन अगर तट के पास ही भारतीय जंगी जहाज को निशाना बनाने की फिराक में हुई तो शौलो वॉटर क्राफ्ट उसका पता लगाएगी, फिल हमेशा के लिए उसे ठिकाने लगा देगी. यह वॉरशिप नेवल हार्बर से मूव करने वाले बड़े वॉरशिप के लिए यह रूट को क्लियर करता है.
ताकत है भरपूर
इसकी ताकत की बात करे तो इसमें एंटी संबमरीन रॉकेट लॉन्चर, लाइट वेट टॉरपीडो, 30 mm नेवल गन के साथ साथ पानी के भीतर सबमरीन का पता लगाने के लिए ASW कॉंबेट सूट, हल माउंटेड सोनार और लो फ्रीक्वेंसी वेरियेबल डेप्थ सोनार से लेस है. 25 नॉटिकल मील प्रतिघंटे की रफ्तार से यह मूव कर सकता है. एक बारी में यह 3300 किलोमीटर से सेल कर सकता है.
साल 2013 में रक्षामंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने भारतीय नौसेना के लिए कुल 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट खरीद की मंजूरी दी थी. जून 2014 में बाए एंड मेक इंडिया के तहत टेंडर जारी किया गया था. 2019 में कांट्रैक्ट पर दस्तखत हुए. 16 में से 8 कोचिन शिपयार्ड में और 8 GRSE शिपयार्ड को निर्माण के किए जा रहे हैं. भारतीय नौसेना को सौंपे जाने की डेडलाइन 2026 तक की है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 13,500 करोड़ रुपये के करीब है. नए आधुनिक ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट पुराने हो चले अभय क्लास कोर्वेट को रिप्लेस करेंगे. 16 में से 10 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट पानी में लांच हो चुके है. जबकि 6 का अभी निर्माण जारी है.