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अब तो बैंक में भी पैसा सेफ नहीं! तिजोरी का रक्षक ही बना लुटेरा, न्यू इंडिया सहकारी बैंक घोटाले में बड़ा खुलासा

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महाराष्ट्र में न्यू इंडिया सहकारी बैंक में पैसों के गबन को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. बैंक के पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता पर संगीन आरोप लगे हैं. बताया जा रहा है कि वे अपने दो कर्मचारियों को फोन करके निर्देश देते थे कि वे बैंक की तिजोरियों से एक बार में 50 लाख रुपये निकालकर उन लोगों को सौंप दें जिन्हें उन्होंने बैंक भेजा है. पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी. इस खुलासे के बाद बैंक में रखे आम आदमी के पैसों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं. मेहता और ‘रियल एस्टेट डेवलपर’ धर्मेश पौन बैंक से 122 करोड़ रुपये के कथित गबन के सिलसिले में रविवार से हिरासत में हैं, जिसका खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक की जांच के बाद हुआ था. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा मामले की जांच कर रही है.

अधिकारी ने कहा, ‘‘बैंक की तिजोरी तक मेहता की पहुंच थी क्योंकि वह बैंक के संरक्षक थे. बैंक के दो कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए हैं. कर्मचारियों ने बताया कि कैसे वे मेहता द्वारा भेजे गए लोगों को नकदी देते थे. इस मामले में गवाह बने इन बैंक कर्मचारियों ने बताया है कि उन्होंने कई लोगों को एक से अधिक बार 50 लाख रुपये की नकदी दी.’’

उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में पाया गया है कि बैंक के एक पूर्व कर्मचारी ने मौजूदा स्थिति के बारे में आरबीआई को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा कि इस सूचना की आरबीआई से पुष्टि की जा रही है. अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को पता था कि बैंक की हालत खराब है, क्योंकि अयोग्य व्यक्तियों को धन वितरित किए जाने के कारण एनपीए बढ़ रहा है.

अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले दो साल में बैंक की स्थिति को देखते हुए हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि ‘ऑडिट’ में कोष के दुरुपयोग की बात क्यों नहीं बताई गई. हमने ‘ऑडिट’ करने वालों के बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं. खातों के अनुसार नकदी 138 करोड़ रुपये थी, जबकि आरबीआई की जांच में बैंक की दो तिजोरियों से 122 करोड़ रुपये गायब पाए गए। ईओडब्ल्यू इस बात की जांच कर रहा है कि क्या पैसा एक बार में गायब हुआ.’’