छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया के स्थान पर हरियाणा की वरिष्ठ नेत्री कुमारी शैलजा को नियुक्त किया गया है। वैसे तो किसी राज्य में प्रभारी महासचिव का मुख्य कार्य पार्टी के केंद्रीय संगठन और राज्य संगठन के बीच तालमेल बनाना होता है। लेकिन जब किसी राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी के महासचिव नियुक्त होते है तो सबसे पहले उन्हें राज्य के भीतर सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बनाना पड़ता है। पीएल पुनिया 2018 विधानसभा के पहले जब प्रभारी महासचिव नियुक्त किए गए थे तब कांग्रेस पार्टी लगातार 3 चुनाव हारने के बाद सरकार बनाने की कोशिश में लगी हुई थी। उस समय पार्टी के कद्दावर नेता अजीत जोगी पार्टी छोड़कर जा चुके थे। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के भीतर 4 बड़े चेहरे मौजूद थे, जिन पर आगामी चुनाव जीताने का दारोमदार था। प्रदेश के अध्यक्ष भूपेश बघेल थे और नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव। अन्य 2 नेताओं मेें कांग्रेस सरकार मंत्री रहे चरणदास महंत और तत्कालीन सांसद ताम्रध्वज साहू शामिल थे। पीएल पुनिया की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने प्रदेश के इन चारों चेहरों को बांधकर रखा और पूरे चुनाव के दौरान किसी के बीच कोई मतभेद जैसी खबरें सामने नहीं आई। कहा जा सकता है कि कांग्रेस संगठन को एकजुट रखकर नेताओं के बीच तालमेल बनाने में श्री पुनिया सफल रहे जिसका परिणाम 4 साल पहले देखने को मिला। अब चारों नेताओं में से एक वर्तमान में मुख्यमंत्री है अन्य दो उनके मंत्रिमंडल के सदस्य है तथा चरणदास महंत विधानसभा के अध्यक्ष है। पिछले कुछ समय से कांग्रेस की राजनीति में जो कुछ हो रहा है उससे एक बात तो स्पष्ट है कि पार्टी के इन चारों चेहरों में अब पहले वाला तालमेल और विश्वास नहीं है। इसलिए कुमारी शैलजा की पहली चुनौती कांग्रेस पार्टी परिवार को एकजुट कर बड़े नेताओं के बीच तालमेल बैठाना होगा। इधर भूपेश बघेल सरकार के 4 वर्ष पूरे हो गए है। इन 4 वर्षों में कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है जिन्हें लगता है कि सरकार आने के बाद उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता असंतुष्ट है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को मनाना और चुनाव के लिए उन्हें काम पर लगाना यह कुमारी शैलजा के लिए दूसरी चुनौती है। पीएल पुनिया प्रभारी के तौर पर जब छत्तीसगढ़ आए तो उनका लक्ष्य प्रदेश में सरकार बनाना था, वे इसमें सफल रहे। अब काग्रेस पार्टी सरकार में रहते जब चुनाव लड़ेगी तो उसे दोबारा जीत हासिल कराना कुमारी शैलजा की सबसे बड़ी चुनौती है।