Home मेरी बात अच्छे- बुरे आतंकी !

अच्छे- बुरे आतंकी !

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत ने आतंकवाद को लेकर अपनी गहरी चिंता जाहिर करने वाला है। 14-15 दिसंबर को भारत अपनी ओर से कुछ सुझाव प्रस्तुत करेगा कि आखिर आतंकवाद से कैसे निपटा जाए। भारत अपना जो पक्ष रखने वाला है, उसको लेकर उसने एक नोट भी परिषद को प्रेषित किया है, जिसमें उसने कहा है कि आतंकवाद को लेकर यह भेद नहीं किया जा सकता कि यह आतंकवाद बहुत अच्छा है या खराब है । आतंकवाद विशुद्ध रूप से आतंकवाद है और इस पर पूरी दुनिया को चिंता करनी चाहिए। भारत की इस बात में दम है और उम्मीद की जा सकती है कि सुरक्षा परिषद में शामिल देश इस मसले को गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे और पूरी दुनिया कैसे आतंकवाद से मुक्त हो, इस पर कुछ ठोस सुझाव भी आएंगे ।मेरा अपना और लाखों-करोड़ों लोगों का भी यही मानना है कि आतंकवाद को किसी धर्म,मजहब, रिलीजऩ या जात-पात से नहीं जोडऩा चाहिए । आतंकवादी किसी भी धर्म का हो सकता है। वह किसी भी देश में आतंकवाद पनप सकता है। पाकिस्तान जैसे देश में आतंकवादियों को पनाह मिलती रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है। अमेरिका जैसे देश ने कभी आतंकवाद का अनुभव नहीं किया था, लेकिन जब वहां आतंकवादियों ने ट्विन टॉवर को को ध्वस्त किया, तब अमेरिका भी आतंकवाद को लेकर गंभीर हुआ। भारत देश तो आजादी के बाद से लगातार आतंकवाद का शिकार होता रहा है। दुर्भाग्य की बात है कि पाकिस्तान इस बात को स्वीकार नहीं करता कि उसके यहां आतंकवाद की जबरदस्त खेती हो रही है। और कैसी विसंगति है कि खुद पाकिस्तान अपने देश में आतंकवाद को झेल रहा है। अनेक अवसरों पर वहां विभिन्न स्थलों में आतंकवादी विस्फोट करके लोगों की जान लेते रहे हैं। फिर भी वह इस मामले में पूरी तरह गंभीर नहीं दिखता। कुख्यात आतंकवादी उसी के यहां शरण लिए हुए हैं। कुछ का तो खात्मा अमेरिका ने वहाँ घुस कर किया है।
आतंकवाद, उग्रवाद जैसे शब्द पूरी दुनिया में इन दिनों गूँज रहे हैं। इसके विरुद्ध मिलजुल कर के लड़ाई लडऩे की जरूरत है। वैश्विक स्तर पर धर्म के नाम पर आतंकवाद फैला है तो अपने देश में विचारधारा के नाम पर नक्सलवाद जैसी बीमारी पनप चुकी है। इसके विरुद्ध भी एकजुट होकर लडऩे की जरूरत है। नक्सलवाद को लेकर भी दो तरह की विचारधारा सामने आती है। एक नक्सलवादियों को महिमामंडित करते हैं तो दूसरे इसकी निंदा करते हैं। नक्सलवाद के पक्ष में शहर के अनेक तथाकथित बुद्धिजीवी तर्क देते हैं ।यहां तक कि नक्सली अगर कोई बड़ी हिंसा करते हैं तो भी उसका महिमामंडन करने से फर्जी बुद्धिजीवी बाज़ नहीं आते। वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध इस चर्चा में मैंने नक्सलवाद को इसलिए भी शामिल किया है कि उसको हवा देने का काम कुछ विदेशी ताकतें भी कर रही हैं। यही कारण है कि नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद जब कुछ हथियार बरामद होते हैं, तो वे दपाकिस्तान और चीन के भी निकलते हैं। इसका मतलब साफ है इनको बाहरी मदद भी मिल रही है। आतंकवाद केवल बुरा हो सकता है। उसे किसी भी सूरत में अच्छा नहीं ठहराया जा सकता।