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भूपेश सरकार के चार साल

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छत्तीसगढ़ प्रदेश में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार को 4 साल पूरे हो गए। सरकार ने इस दिन को छत्तीसगढ़ गौरव दिवस के रुप में मनाने का निर्णय लिया है। राज्य बनने के बाद लगातार 3 बार चुनाव हारने के कारण 15 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी है। इसलिए पार्टी में भी उत्साह है और सरकार में भी। इस सरकार के 4 साल के कार्यकाल की समीक्षा करें तो कोरोना संक्रमण के कारण जो सालभर लॉकडाउन और भय का वातावरण रहा उसने सरकार के कामकाज को प्रभावित किया। इधर सरकार बनने के बाद भूपेश मंत्रिमंडल ने गांव, ग्रामीण और किसान को केंद्र में रखकर नीतियां और कार्यक्रम बनाया। किसानों को धान का 2500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक का मूल्य मिलना इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। धान का अधिक समर्थन मूल्य भारत के किसी राज्य में नहीं दिया जा रहा है। भले ही इस मदद के बावजूद सीमांत और छोटे किसानों की जिंदगी में कोई बहुत फर्क नहीं पडऩे वाला फिर भी किसानों की जेब में पैसे पहुंचाने का काम इस सरकार ने किया। गोबर खरीदने और उससे जैविक खाद बनाकर किसानों को बेचने का कार्यक्रम भी अनोखा ही है। एक तरफ गोबर बेचकर गौ-पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं गोबर खाद का खेतों में उपयोग कर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह सरकार किसानों को रिझाने में तो सफल रही है लेकिन विकास के काम जिसमें स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है। विपक्ष भारतीय जनता पार्टी ने पत्रकार वार्ता कर सरकार के ऊपर अनेक आरोप मढ़े है, जिनमें कानून की बिगड़ती व्यवस्था, भ्रष्टाचार का बढऩा और प्रदेश में भारी-भरकम कर्ज लेने के कारण वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने के आरोप प्रमुख है। यह बात कुछ हद तक सही है कि पिछले 4 वर्षों में प्रदेश सरकार ने सीमा से ज्यादा कर्जा लिया है। लेकिन इस कर्ज का फायदा अगर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नहीं हुआ तो भावी पीढ़ी को यह कर्ज भारी पड़ेगा। प्रदेश में आज भी गीरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। वनक्षेत्रों में रहने वाले जनजाति समाज और छोटे किसान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एक बड़ी योजना के साथ काम करने की आवश्यकता है। सरकार बनने के पहले कांग्रेस पार्टी ने जो जनघोषणा जारी किया था उसमें भी प्रदेश के सर्वांगीण विकास का रोडमैप है। क्या करें चुनाव 5 साल के लिए होते है और चुनाव लडऩा और जीतना ही राजनीति का मुख्य लक्ष्य है इसलिए लंबी सोच और बड़ी योजना बनते-बनते रह जाती है।