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माकपा, कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल से कोई सबक नहीं लिया : मुख्यमंत्री माणिक साहा

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अगरतला। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने दावा किया है कि राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले लोग मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस की नजदीकी पसंद नहीं कर रहे हैं और उन्होंने दोहराया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इन दोनों पार्टियों पर बढ़त हासिल करेगी। साहा का यह बयान माकपा और कांग्रेस सहित छह विपक्षी दलों द्वारा एक संयुक्त बयान जारी करने के एक दिन बाद आया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के ‘‘शांतिप्रिय’’ लोगों से लोकतंत्र की बहाली, कानून के शासन की फिर से स्थापना तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के पक्ष में आवाज उठाने को कहा गया है।
भाजपा-आईपीएफटी (इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) गठबंधन ने 2018 के विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल कर राज्य में 25 साल के वाम शासन को समाप्त कर दिया था। साहा ने बुधवार को कहा, ‘‘यह एक अवसरवादी मेल है। पहले दोनों पार्टियों (माकपा और कांग्रेस) के बीच गुपचुप संबंध था और अब यह सामने आ गया है। लोग इसे सकारात्मक रूप से नहीं ले रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि माकपा और कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल से कोई सबक नहीं लिया है जहां उन्होंने मिलकर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए थे। वाम दलों माकपा, फॉरवर्ड ब्लॉक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और भाकपा (माले) तथा कांग्रेस के नेताओं ने एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किया है।
माकपा के प्रदेश महासचिव जितेंद्र चौधरी ने दावा किया था कि टिपरा मोथा के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर माणिक्य ने संयुक्त बयान में व्यक्त किए गए विचारों का व्यापक रूप से समर्थन किया है, लेकिन वह इस पर हस्ताक्षर नहीं कर सके क्योंकि वह अभी राज्य से बाहर हैं। साहा ने कहा, ‘‘चुनाव में लोग अवसरवादी विचार को खारिज कर देंगे।’’ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव अजय कुमार यहां बुधवार को पहुंचे। उन्होंने दावा किया कि लोग भाजपा से तंग आ चुके हैं।