Home इन दिनों धर्मान्तरण को लेकर एकतरफा कार्यवाही

धर्मान्तरण को लेकर एकतरफा कार्यवाही

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छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में धर्मान्तर ण का मुद्दा उग्र रुप ले चुका है। ऐसा नहीं है कि यह अचानक प्रगट हुआ। पिछले 4 वर्षों से इसाई मिशनरियां के द्वारा धर्मान्तरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। समस्या तो तब हुई जब धर्मान्तरित हो चुके आदिवासी और मूल धर्म मानने वाले आदिवासियों के बीच में संस्कार को लेकर विवाद होने लगे। यह बात भी अचानक सामने नहीं आई, सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक ने तो 2019 की शुरुआत में ही ऐसी स्थिति निर्मित होने का आंकलन कर लिया था। भारतीय जनता पार्टी व अन्य संगठन भी बस्तर में हो रहे धर्मान्तरण और उसके जनजातीय समाज पर पडऩे वाले प्रभाव को लेकर सरकार से गुहार लगाई लेकिन इस मामले की गंभीरता को ताक पर रखकर सरकार ने राजनीतिक बयानबाजी शुरु कर दी। यह तर्क दिया गया कि भारतीय जनता पार्टी के 15 वर्ष के शासन में बड़ी संख्या में चर्च बने। अब इस तर्क का बस्तर में हो रहे विवाद से वैसे कोई संबंध नहीं है। यह भी सबको पता है कि संविधान में किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता है, इसलिए अगर इसाई मिशनरियां चर्च का निर्माण कर रही है तो संविधान के अनुसार उन्हें रोका नहीं जा सकता। भाजपा के शासनकाल में भी निर्माणाधीन चर्च को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए, तोडफ़ोड़ भी की गई लेकिन शासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए दोषियों पर कार्यवाही की। अब पिछले 3 वर्षों से पनप रहे विवाद को शांत करने के लिए कोई कदम उठाने के बजाय थाने में धर्मान्तरण के मामले में दर्ज अपराध के नाम पर इस मामले को टाला गया। सभी जानते है कि मिशनरियां किस प्रकार धर्मान्तरण का खेल खेलती है। अब सवाल इन बातों पर चर्चा करने का नहीं बल्कि अब तो जो बस्तर इस मामले में धधक रहा है उसे लेकर सरकार का क्या रुख है, यह महत्वपूर्ण है। नारायणपुर जिले के गुर्रा गांव में जनजातियों पर इसाई मिशनरियों की ओर से हमला किया गया और दूसरे दिन की घटना इसकी प्रतिक्रिया ही थी। लेकिन देशभर में माहौल क्या बनाया जा रहा है यह देखने वाली बात है। राष्ट्रीय मीडिया और खासकर कुछ चिन्हित समूह इसाई मिशनरी और चर्च पर हुए हमले को लेकर मुखर है और इसका दोष भाजपा और हिन्दूवादी संगठनों को दिया जा रहा है। सही बात कहीं नहीं आ रही कि इस पूरे प्रकरण में इसाई मिशनरियों का दोष कितना है? प्रशासन ही आदिवासियों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है और इस घटना की आड़ में आदिवासियों के हक में खड़े होने वाले संगठनों के खिलाफ कार्यवाही करने की योजना बना रहा है। इससे बात बनेगी नहीं और बिगड़ेगी