केंद्र में भाजपा की सरकार ने और राज्य में कांग्रेस पार्टी की, दोनों सरकारों को बनाने में जनता के मतों का योगदान है। लोकसभा हो या विधानसभा जनता अपनी सरकार को देश-प्रदेश के विकास और जनता के कल्याण करने के लिए चुनती है। प्रदेश में भूपेश बघेल की सरकार ने पिछले 4 वर्षों में गांव, गरीब, किसान के लिए अनेक योजनाएं संचालित की है। इसी प्रकार केंद्र सरकार भी राज्यों के लिए अनेक योजनाएं बनाती है जिसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्य की होती है। ज्यादातर केंद्र सरकार की योजनाओं में जो खर्च होता है उसका बड़ा हिस्सा केंद्र की ओर से मिलता है और राज्य को भी एक हिस्सा का योगदान करना पड़ता है। नरेन्द्र मोदी की सरकार का लक्ष्य है आगामी कुछ वर्षों में देश के हर व्यक्ति का अपना घर हो और उसके घर तक नल की पाइप लाईन बिछ जाए जिससे उसे पानी मिल सके। प्रधानमंत्री ग्रामीण एवं शहरी आवास योजना और जल जीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार ने जो लक्ष्य निर्धारित किए है उसे पाने में छत्तीसगढ़ प्रदेश बहुत पीछे नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर पिछले 2 वर्षों से विधानसभा के भीतर और बाहर प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। अभी प्रदेश में सभी विधायकों के निवास को घेरने का अभियान चल रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की बनी है तब से प्रधानमंत्री आवास योजना का काम ठप्प पड़ा है। भाजपा के शासनकाल में 2016-17 से लेकर 2018-19 तक साढ़े सात लाख से अधिक आवास का निर्माण किया गया और लोगों को मिल भी गया। 2020-21 में केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए डेढ़ लाख आवास स्वीकृत किए थे जो अभी तक बन नहीं पाए है, इसके बाद के 2 साल तक प्रदेश सरकार के द्वारा निर्धारित हिस्सा जमा नहीं करने पर कोई आवास निर्माण स्वीकृत नहीं किया गया है। भाजपा का आरोप है कि प्रदेश में 16 लाख आवास का निर्माण भूपेश सरकार की लापरवाही के कारण नहीं हो सका है। यही हाल जल जीवन मिशन का भी है। जब से मिशन शुरु हुआ है उसके बाद से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इस मिशन को लेकर केवल गड़बडिय़ां ही सामने आ रही है। 2021-22 में देश में जल जीवन मिशन का लाभ पहुंचाने में छत्तीसगढ़ देश के 31वें पायदान पर था। इस साल भी लक्ष्य से बहुत दूर है। जगह-जगह से पाइप लाईन खरीदी से लेकर टंकी निर्माण तक भ्रष्टाचार और प्रक्रिया में बड़ी-बड़ी गड़बड़ी करने की खबरें आती रहती है। सवाल है कि केंद्र सरकार की योजनाओं के काम जनता के लिए आवश्यक है वे पूरे क्यों नहीं हो रहे है? क्या राज्य सरकार के पास पैसे की कमी है, लापरवाही है या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता? जो भी है नुकसान जनता का है।