पिछले दो सप्ताह के भीतर भारतीय जनता पार्टी के 4 नेताओं की हत्या बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में हुई है। इन हत्याओं को लेकर भाजपा कांग्रेस की सरकार पर हमलावर रुख अपनाए हुए है। पार्टी के अध्यक्ष अरुण साव ने आरोप ने लगाया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं में दहशत फैलाने के लिए सरकार की शह पर टारगेट किलिंग याने भाजपाईयों को निशाना बनाकर हत्या कराई जा रही है। लोकतांत्रिक राजनीति में कोई पार्टी सत्ता पक्ष पर यह आरोप लगाए तो यह अत्यंत गंभीर है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में माओवादी हिंसा और भय के दम पर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त करने का पिछले 2-3 दशकों से देख रहे है। कांग्रेस पार्टी नक्सलवाद और माओवाद को लेकर शुरु से भ्रमित रही है। उनके अनेक नेता नक्सलियों और माओवादियों को सामाजिक आर्थिक मुद्दों को लेकर संघर्ष करने वाले क्रांतिकारी तक मानते है। पिछले चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी के तब नेता रहे राजबब्बर ने उन्हें क्रांतिकारी ही कहा था। लेकिन कांग्रेस पार्टी और भारत की राजनीति में झीरम घाटी हत्याकांड एक गंभीर जख्म है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी माओवाद को देश का सबसे बड़ा आंतरिक समस्या माना था, तब छत्तीसगढ़ में शासन कर रही भाजपा की सरकार स्थानीय आदिवासियों के साथ माओवाद के खिलाफ में संघर्ष छेड़े हुई थी। यह बात सही है कि भाजपा सरकार के समय ही माओवाद को एक राष्ट्रीय समस्या के रुप में सामने लाने का कार्य किया गया था। कांग्रेस पार्टी भी विधानसभा चुनाव के पहले माओवाद की समस्या को सुलझाने का वादा की थी। लेकिन 4 वर्ष के बाद भी माओवादियों के साथ किसी भी तरह की बातचीत के संकेत नहीं मिले है। इस बीच प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बस्तर संभाग से एकमात्र विधायक भीमा मंडावी की हत्या हुई और उसके बाद लगातार भाजपा के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया। इन घटनाओं के बाद भाजपा के आरोप के चलते अब प्रदेश सरकार ने मामले की जांच करने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पत्र लिखा है। इसका मतलब है कि सरकार अब इन हत्याओं को आतंकी घटनाएं मान रही है। चुनाव जब करीब हो तो इस तरह की घटनाएं कई सवाल खड़े करती है। ऐसे मामले में सरकार और राजनीतिक दलों को गंभीर होना चाहिए। लेकिन प्रदेश में सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी और सरकार दोनों ने जिस प्रकार की बयानबाजी की है उससे गंभीरता नहीं झलकती है। मुख्यमंत्री यह कहें कि भाजपा इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी से करा ले तो यह काम प्रदेश सरकार का है, जैसा कि गुरुवार को किया गया है। कांग्रेस के प्रवक्ता भी इस प्रकरण में जिस प्रकार के बयान दे रहे हैं वह किसी दृष्टि से उचित नहीं है। माओवाद से निपटने के विषय में सभी दलों को एकमत होना चाहिए।