Home इन दिनों गरीब को छत दिलाने की लड़ाई

गरीब को छत दिलाने की लड़ाई

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016-17 से प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की। इस योजना का लक्ष्य है कि 2024 के अंत तक भारत के प्रत्येक बेघर व्यक्ति को पक्का मकान मिल जाए। इस योजना के दो घटक शहरी आवास और ग्रामीण आवास और जो मकान बनाए जाएंगे। उसका 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार देगी और 40 प्रतिशत राज्य सरकार को देना होगा, जिसे मैचिंग ग्रांट कहा जाता है। प्रदेश में पिछले 3 वर्षों से विधानसभा में हर सत्र के दौरान पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री से आवास योजना के संबंद्ध में प्रश्न दागे जाते थे। इसका उत्तर देने में मंत्री लगातार असहज रहे क्योंकि 2020 के बाद प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत मकान बनने बंद हो गए। इस योजना की विशेषता यह थी कि हितग्राही को या हितग्राही के खाते में मकान बनाने का पैसा आ जाता था और मकान बनाने की जिम्मेदारी हितग्राही की होती थी। समस्या यह हुई कि 2019-20 के बजट में किसानों के ऋण माफी, 2500 रु. धान खरीदी जैसी घोषणाओं को पूरा करने के कारण राज्य सरकार के पास फण्ड की कमी हो गई और वह ग्रामीण आवास योजना के जरूरी मैचिंग ग्रांट देने में असमर्थ रही। इसलिए केंद्र सरकार ने आवास योजना का लक्ष्य और उसके लिए पैसा देना बंद कर दिया। जब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मकान नहीं मिला तो यह एक राजनैतिक मुद्दा बन गया। भारतीय जनता पार्टी ने भूपेश सरकार पर 16 लाख गरीब परिवार के मकान का हक मारने का आरोप लगाया। अब समस्या यह थी कि यह 16 लाख कैसे? केंद्र सरकार ने मकान की संख्या निर्धारित नहीं कि लेकिन 2024 तक हर गरीब को मकान मिल जाए, यह लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य भी 2011 के जनगणना के आधार पर बनाई गई सूची से निर्धारित है। भारतीय जनता पार्टी को यह एक बड़ा मुद्दा अगले विधानसभा चुनाव के लिए मिल गया। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच में लगभग 14 लाख वोटों का अंतर था। अब 16 लाख मकान के बहाने वे अगले चुनाव में वापसी करने की रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस सरकार इस मामले में फसी हुई लग रही है। क्योंकि गांव के 16 लाख लोगों की नाराजगी चुनाव में भारी पड़ सकती है। इसलिए अब सर्वे सूची को लेकर नए शिगूफे छोड़े जा रहे हैं। भाजपा अब इसे विधानसभा के भीतर और बाहर का मुद्दा बनाकर आवास योजना के भरोसे सत्ता में लौटने के सपने संजो रही है।