Home मेरी बात उफ्फ! यह तेजाबी प्रतिशोध !

उफ्फ! यह तेजाबी प्रतिशोध !

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टीवी सीरियल या फिल्में गुमराह लोगों पर कितना भयानक असर डालती हैं, उसके बारे में कहना अब कोई नई बात नहीं है। सैकड़ों घटनाएं होती रहती हैं। अभी हाल ही में बस्तर की एक ताजा घटना ने हम सब को एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया कि लोग टीवी सीरियल वगैरा बनाते हैं, उससे कुछ लोग नकारात्मक संदेश ग्रहण करके गलत दिशा की ओर बढ़ जाते हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि सीरियल घटनाओं के बारे में बताए, स्टोरी भी बनाए मगर उस घटना को कैसे अंजाम दिया गया, उसके लिए क्या-क्या तरीके अपनाए गए, इसे छुपाना चाहिए । वरना नादान लोग उसी तरीके का सहारा लेकर अपराध करने की कोशिश करने लगते हैं। जैसा कि बस्तर की एक युवती ने किया। वह अपने उस प्रेमी से नाराज थी,जिसने सात साल तक उसके साथ संबंध बनाए रखा लेकिन शादी नहीं की ।वह किसी अन्य युवती के साथ विवाह कर रहा था। उसकी प्रेयसी को इस बात की खबर लगी। तो वह गुस्से में उबल पड़ी और शादी के मंडप पर आकर अंधेरे का फायदा उठाते हुए उसने दूल्हे पर एसिड अटैक कर दिया, जिसके कारण वहां उपस्थित कुछ अन्य लोग भी घायल हो गए। घटना के बाद युवती फरार हो गई लेकिन अंतत: उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया और बताया कि वएसिड अटैक करने का आइडिया उसे क्राइम पेट्रोल नामक सीरियल देख कर आया, जिसमें एक युवक अपनी प्रेयसी पर एसिड अटैक करता है।यहाँ यह विचारणीय पहलू है कि युवती एक साल नही, दो साल नहीं, तीन साल नहीं, पूरे सात साल लड़के के प्रेम संबंध में थी! ऐसी कई घटनाएं यहां सामने आती रही हैं,जब लड़कियां कहती हैं कि मैं उसके साथ वर्षों से रह रही थी। वह मेरा शोषण कर रहा था शादी का झांसा देकर मुझसे शादी नहीं कर रहा था। आखिर ऐसी नौबत ही क्यों आई ?जब लड़की किसी को पसंद करती है और उस से प्रेम करने लगती है, तो कायदे से सबसे पहले विवाह करना चाहिए। मैं इसमें लड़के का दोष नहीं मानता कि वह शादी का आश्वासन देता है और करता नहीं। लड़की को कहना चाहिए कि प्यार हो गया है तो पहले शादी करो । लड़कियां ऐसा नहीं करती, छुप-छुपकर लड़के से मिलकर संबंध भी बनाती रहती हैं। और देखते -देखते वर्षों बीत जाते हैं। तब तक स्वाभाविक है कि लड़की या लड़के के जीवन में कोई और आ जाता है या आ जाती है ।ऐसी नौबत आने के पहले ही विवाह बंधन में बंध जाना ही समझदारी है। जो ऐसा नहीं करते, वे बाद में पछताते हैं और फिर कहा जाता है कि हमारे साथ धोखा हुआ । बस्तर की लड़की के साथ जो कुछ हुआ, वह धोखा जरूर था लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि युवती इतनी क्रूर हो जाए कि अपने पूर्व प्रेमी का चेहरा ही बिगाडऩे की कोशिश कर बैठे? अमानवीय सोच किसी भी व्यक्ति को वैचारिक रूप से पतित कर देती है। कोई युवती भी अपने प्रेमी को धोखा देकर कोई नया रिश्ता बना लेती है तो इसका मतलब यह नहीं कि युवक उसकी हत्या कर दे। या उस पर तेजाब फेंक दें ।युवक और युवती को साहिर लुधियानवी के शब्दों में कहूं तो समझदारी के साथ यही गुनगुना कर अपना रास्ता अलग कर लेना चाहिए चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों, वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोडऩा अच्छा! तुम्हारा रास्ता अलग, मेरा रास्ता अलग ! लेकिन यह कैसा प्रेम है, जिसकी परिणति घृणा के रूप में होती है ।और यह घृणा अंतत: जब तेजाबी बन जाती है, तब मानवता कलंकित होती है । क्राइम पेट्रोल जैसे सीरियल किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव नहीं लाते । दर्शक उसे देखकर गलत बातें ही अधिक सीखते हैं और यह कोशिश करते हैं सीरियल में अपराधी गिरफ्तार हो गया, मगर हम ऐसी कोशिश करें कि पुलिस के हत्थे न चढ़ पाएँ। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अपराधियों को अंतत: गिरफ्तार होना ही पड़ता है। इधर बहुत सी घटनाएं मैंने ऐसी भी देखी हैं, जिसमें लड़कियां जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे रही हैं। हमारा समाज स्त्रियों के मामले में इस भावना का रहा है कि स्त्रियां कोमल होती हैं। उदार होती हैं। वे हिंसा से दूर रहती है। लेकिन इस तथाकथित आधुनिकता ने कुछ औरतों को भी बेहद क्रूर बना दिया है । यही कारण है कि कुछ माताएं अपने नवजात शिशु को भी पूरी बेरहमी के साथ नाली में फेंक देने से भी नहीं हिचकती ।अपने दो शेरों से बात खत्म कर रहा हूँ कि
लड़की लड़के जैसी हो गई
मत पूछो कि कैसी हो गई
नदी गिरी नाले में जाकर
अब वह बिल्कुल गंदी हो गई।