उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब छतीसगढ़ में बुलडोजर के दम पर चुनाव वैतरणी पार लगाना चाहती है छतीसगढ़ भाजपा। आज तक देखा गया है कि छतीसगढ़ के भाजपा के राजनेता शांत स्वभाव के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। मगर यह देखने में आ रहे हैं कि ये शांत स्वाभाव के नेता 2023 व 2024 के आने वाले चुनाव के लिए बेहद आक्रामक व कड़े बयान देने लगे हैं। अभी तक इन्होंने जो भी मुद्दे उठाए उनमें देखा जाए तो धर्मांतरण का मुद्दा एक चर्चित अल्पसंख्यक कौम के विरुद्ध जहर भरने व समाज को दो भाग में बांटने का प्रयास माना गया। कवर्धा-बीरनगांव-नारायणपुर ऐसे कांड को हिन्दू पक्ष के साथ खड़े होकर अपने स्पष्ट हिदुत्व के एजेंडे को बल दिया गया। इसमें भी लोगों ने माना कि यह बांटने का प्रयास ही है। पहले कहा गया था कि हम स्थानीय 15 साल की भाजपा सरकार के विकास कार्यों पर चुनाव में जायेंगें। उसके बाद फिर कहा कि हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के देश व्यापी जनहित के मुद्दों व उनकी सरकार के द्वारा किये गए विकास कार्यो व सुधार कार्यक्रमों के आधार पर चुनाव में जायेंगें। अचानक पिछले तीन महीने से अभियान चला कर भूपेश सरकार की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाना शुरू किया गया। एक माहौल बनाने में भाजपा जुट गई। कह सकते हैं कि एक एक घटनाओं पर माहौल बनाया गया। कुछ आरोप सफल कुछ असफल हुए, पर माहौल तो बन ही गया। अब अपनी इस आंशिक सफलता के बाद भाजपा के नेताओं ने इसी योजना के अगले चरण की रणनीति के तहत एक धमाकेदार बयान देकर प्रदेश में तहलका मचा दिया। अपनी 15 साल की सरकार के विकास,धर्म अधर्म की बात उठाने के बाद,मोदी के विकास की बात करते हुए ,मोदी पर अपना विश्वास जताया अब अचानक अपराधियों पर बुलडोजर चलवाने की घोषणा कर जनता को आंदोलित करने का महत्वपूर्ण व प्रभावशाली प्रयास किया गया है। यहां मुख्य मंत्री भूपेश बघेल को बोलने का अवसर प्रदान भी कर दिया। वे चूके भी नहीं। उन्होने कह भी दिया कि भाजपा को नरेंद्र मोदी चुनाव जिताऊ नहीं दिख रहे हैं। अब योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व स्वीकार किया जा रहा है। अपनी अपनी रणनीति अपना अपना एजेंडा लेकर दोनों ही प्रमुख दल चल रहे हैं। कांग्रेस गांव – गरीब- किसान व भेंट मुलाकात के माध्यम से अपने आपको सफल मान कर अपना प्रचार कर रही है। भाजपा अभी भी किस वास्तविक मुद्दे पर डटेगी, हिंदुत्व-धर्मांतरण-कानून व्यवस्था-15 साल की रमन सरकार की उपलब्धियों-मोदी सरकार की उपलब्धियों-योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर संस्कृति अथवा अपने नए व कांग्रेस से कुछ आगे बढऩे के वायदे वाले घोषणापत्र,किस पर केंद्रित चुनाव लड़ेगी यह रणनीति कहीं भी स्पष्ट नहीं है। शायद यही भाजपा की असली रणनीति है। संभवत: इनसे अलग कोई बड़ा धमाका चुनाव के पहले वो कर देने के साथ पूरा पासा ही पलटने वाली है। प्रदेश में अभूतपूर्व रूप से लगातार ईडी व अन्य केंद्रीय एजेंसियों की मौजूदगी है। कोयले के बाद अब शराब पर उसकी कड़ी नजर व लगातार पूछताछ हो रही है। नेताओं व अधिकारियों पर शिकंजा कसने को भी चुनाव के नजरिये से देखा जा रहा है। कल ही कुछ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर ईडी द्वारा प्रताडि़त करने की जानकारी दी गई है।
अब हम ताजा बयान पर चर्चा करें तो सरकार आने पर माफियाओं पर बुलडोजर चलवाने की बड़ी बात कहने को कैसे देखा जाए ? उत्तर प्रदेश में तो नामी गिरामी माफियाओं का गढ़ माना जाता है। अपराधियों व माफियाओं को राजनैतिक संरक्षण व उन्हें महत्व देकर चुनाव जीतने की प्रक्रिया भी वहीं ज्यादा अपनाई जाती है। ऐसी खबरें अक्सर अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। अभी हाल अतीक व उसके भाई और बेटे को गोली मारने की घटना हुई। इसके पहले भी अपराधियों को मुठभेड़ में मारने की घटना हुई। इसी स्तर के अनेक माफियाओं के घरों कार्यालयों पर बुलडोजर चला दिया गया। वहां अपराध एक बड़ा काम है। यही कारण है कि राजनैतिक दल भी इनसे मदद लेते व देते हैं। अब आप सोचें कि हमारे शांत छतीसगढ़ में कहां ऐसे माफिया हैं जो अपने द्वारा हत्या करवाए जाने को दर्शाते हैं। समाज पर दहशत फैला कर राज करने का प्रयास करते हैं। जिस तरह उत्तर प्रदेश में होता देखा जाता है। लेखक की नजर में तो ऐसा कोई माफिया इस छतीसगढ़ की धरती पर आज तक तो नहीं दिखा जो सरकारों को आंख दिखा सके। ऐसा कोई अपराधी विधायक या सांसद बना हो। अतीक अहमद जैसी गैंग बनाई हो,राजा भैया या उत्तर प्रदेश के अन्य माफियाओं की तरह की घटनाओं या हत्याओं को अंजाम दिया हो । आखिर किन पर चलेगा बुलडोजर। दरअसल मसला चुनाव जीतने का है। दोनों दल रामराज लाने की कोशिश कर रहे हैं। एक जय श्रीराम के नारे के साथ राम को आस्था का केंद्र मान कर और दूसरा दल जयसियाराम के नारे के साथ राम का मामा बन कर अपनी राजनितई कर रहे हैं। ऐसी चिंता किसी की भी नहीं दिखती की रामराज में सबको एक नजर से देखा जाता था। यहां भी संत घासीदास को सभी दल पूजते है उनका कहना था कि मनखे मनखे एक समान , कबीर दास जी को मानने वाले यहां बहुत हैं। घृणा को कहीं भी स्थान नहीं देने व प्रेम सद्भाव से रहने का उन्होंने संदेश दिया। चुनाव आते जाते रहेंगे सद्भाव बिगड़ा तो यह शांति का टापू कैसा रूप लेगा चिंता इस बात की होनी चाहिए।