कर्नाटक में चुनाव के कुछ रोज ही बाकी है और कांग्रेस ने भाजपा को ऐसा सियासी मुद्दा दे दिया, जिसमें वह न चाहते हुए भी हिंदुत्व की राह पर चल पड़ा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल बीते चुनावों में भी भाजपा को कांग्रेस ने ऐसे ही बैठे-बिठाए हिंदुत्व के मुद्दे दे दिए, जिसमें कांग्रेस को हमेशा मात ही खानी पड़ी। फिलहाल कर्नाटक में हनुमान और सांप को भाजपा ने सियासी मैदान में हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ा दिया है। सियासी गलियारों में चर्चा इसी बात की भी हो रही है कि क्या 10 मई को होने वाले चुनाव में बजरंगबली और सांप से सियासी रंग गाढ़ा होगा। यह भाजपा की अपनी रणनीति है और उनकी अपनी विचारधारा है। लेकिन उनके इसी विचारधारा को कांग्रेस के नेता किसी न किसी बहाने से ऐसी धार दे देते हैं, जो कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ जाती है। जब कर्नाटक में कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना पीएफआई से करते हुए उस पर सख्ती बरतने की बात कही, तो भाजपा के लिए कांग्रेस के मेनिफेस्टो से सियासी लड़ाई लडऩे की एक नई राह निकल आई। बजरंग दल पर सख्ती बरतने वाला मेनिफेस्टो जारी कर कांग्रेस ने भाजपा को बैठे-बिठाए ऐसा मुद्दा दे दिया, जिसे भाजपा ने हनुमानजी से जोड़कर अपनी सियासी पार्टी में उसका जमकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इस पूरे मामले में अब चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि क्या बजरंग दल पर सख्ती किए जाने और भाजपा को इस पूरे मामले में हनुमानजी से जोडऩे का सियासी फायदा किसे होने वाला है। इसमें कोई शक नहीं है कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा को कांग्रेस से मजबूत चुनौती मिल रही है। इस चुनौती के पीछे कई कारण है, जिसकी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर राज्य स्तरीय नेतृत्व को बखूबी जानकारी है। कर्नाटक के चुनाव में एक तो पहले से ही हनुमानजी की एंट्री हो चुकी थी। हनुमान और भगवान राम के अयोध्या और कर्नाटक के आपसी कनेक्शन को चुनावी रैलियों में भाजपा के नेताओं की ओर से लगातार जिक्र भी किया जा रहा था। ऐसे मौके पर कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में बजरंग दल का जिक्र करके भाजपा को हिंदुत्व के मुद्दे को और आगे बढ़ाने का मौका दे दिया। बजरंग दल के मुद्दे पर हनुमानजी को आगे करके भाजपा जिस तरीके से अपने हिंदुत्व के मुद्दे को आगे बढ़ा रही है, उसका बहुत व्यापक स्तर पर तो असर नहीं होगा। कांग्रेस ऐसा पहले भी कर चुकी है। वह कहते हैं 2017 में गुजरात में हुए विधानसभा के चुनावों में भी जैसे ही राहुल गांधी ने मंदिरों में जाकर दर्शन करने शुरू किए वैसे ही भाजपा के शासन के दौरान की नाराजगी और चुनाव के असली मुद्दे किनारे हो गए। जब हिंदुत्व और हिंदुत्व की पार्टी की आती है, तो भाजपा हमेशा बाजी मारती है। इसलिए भाजपा के पास बजरंग दल के नाम से हिंदुत्व के मुद्दे को आगे रखकर अपना सियासी दांव और तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया। इसी तरह जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सांप कहा, तो नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली में पलटवार करते हुए सांप को शिव का आभूषण बताया। वह कहते हैं कि कांग्रेस के इस दांव को भी भाजपा ने हिंदुत्व के रास्ते से ही आगे बढ़ाया। कर्नाटक कांग्रेस पार्टी के नेता एन सथीशन कहते हैं कि कर्नाटक राज्य में पुलिस के रजिस्टर में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कई मामले दर्ज हुए। जिस तरीके की कार्यप्रणाली बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की ओर से की जाती रही है, उसी के आधार पर उनकी पार्टी ऐसे सभी संगठनों के खिलाफ सख्ती से निपटने की बात मेनिफेस्टो में लेकर आई। लेकिन भाजपा ने बजरंग दल को हनुमानजी से जोड़ते हुए अपने हिंदुत्व के मुद्दे से जोड़कर स्थानीय लोगों को बहकाने का काम शुरू कर दिया। सथिशन कहते हैं कि भाजपा को तो हिंदुत्व के मुद्दे पर किसी भी तरीके के नाम का बस बहाना चाहिए। वह कहते हैं उनकी पार्टी ने कर्नाटक के सभी ग्राम देवियों के लिए बीस हजार रुपये और राज्य के पौने दो लाख मंदिरों के लिए विशेष पूजा निधि जारी करने की भी घोषणा की है। इसे लेकर भाजपा में कोई मुद्दा नहीं बनाया, लेकिन जैसे ही बात बजरंग दल की आई, तो वह हनुमानजी का नाम लेकर लोगों को दिग्भ्रमित करने लगे।