Home इन दिनों बंटा हुआ विपक्ष और आम आदमी पार्टी

बंटा हुआ विपक्ष और आम आदमी पार्टी

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आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल 26 क्षेत्रीय दलों को जोडऩे की कवायद में लगे हैं। छह दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ छह राज्यों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बड़े नेताओं के साथ मुलाकात की और दिल्ली अध्यादेश (दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल) को राज्यसभा में रोकने को लेकर चर्चा की। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मजाक में टिप्पणी करते हुए कहा कि पंजाब और दिल्ली के मुख्यमंत्री डबल इंजन हैं और वे दोनों पंजाब के एक ही विमान में यात्रा करते हैं। हालांकि अरविंद केजरीवाल अपने 60 करोड़ के शानदार घर के बारे में एक निजी टीवी चैनल के सवाल पर चुप हो गए। अध्यादेश के खिलाफ इस लड़ाई में मूल मुद्दा उसी शीशमहल से बनी नकारात्मक छवि को दूर करना है। यही नहीं, इस मुद्दे पर पंजाब में एक महिला पत्रकार को गिरफ्तार भी किया गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने तमिलनाडु के समकक्ष एमके स्टालिन से मुलाकात की और केंद्र सरकार के विवादास्पद अध्यादेश के खिलाफ अपने अभियान में समर्थन मांगा, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण पाना है। लेकिन द्रमुक ने आप को इल्लै (तमिल में इल्लै का अर्थ नहीं होता है) का संकेत दिया है। इसकी वजह साफ है कि द्रमुक की आप के साथ कोई प्रतिबद्धता नहीं है। कांग्रेस को अभी अपने यूपीए सहयोगियों से इस पर बात करनी है और यह भी विश्लेषण करना है कि द्रमुक को राज्यसभा में आप का समर्थन क्यों करना चाहिए। क्या यह तमिलनाडु की राजनीति में एक तमाशा नहीं बनाएगा? कांग्रेस पार्टी ने अभी तक राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश पर अपने रुख की पुष्टि नहीं की है। आप के शीर्ष नेताओं के अनुसार, पार्टी दो तरह की बातें करेगी। कांग्रेस राज्यसभा में इसका विरोध करेगी, लेकिन सुविधाजनक तरीके से बहिर्गमन करेगी या तटस्थ रहेगी। अनिर्णय की ऐसी स्थिति आखिरकार भाजपा को ही फायदा पहुंचाएगी और अध्यादेश पारित हो जाएगा। असल में, दिल्ली में अजय माकन और पंजाब में प्रताप सिंह बाजवा द्वारा संभावित विद्रोह को रोकने के लिए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को उन्हें साथ लेकर चलना ही होगा। केजरीवाल का उद्देश्य विपक्षी दलों को अध्यादेश के खिलाफ एकजुट करना और संसद के उच्च सदन में उसे रोकना है, जहां विपक्ष के पास भाजपा और उसके सहयोगियों की तुलना में अधिक सीटें हैं। पर केजरीवाल ने महसूस किया है कि कांग्रेस के मजबूत समर्थन के बिना कांग्रेस से निकले ये क्षेत्रीय संगठन खरगे के इशारे पर चलेंगे और आप के दावे को झुठला देंगे। वास्तव में कांग्रेस का असली रंग अब सामने आ गया है, जिसे आप नेता भी महसूस कर रहे हैं। दक्षिण भारत की सियासत की चर्चा तेलुगू देशम पार्टी का जिक्र किए बिना पूरी नहीं हो सकती है। आंध्र प्रदेश में पुनर्गठबंधन की राजनीतिक चर्चाओं के बीच तेलुगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात की। बैठक में माना जाता है कि इन नेताओं ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक साथ चुनाव लडऩे पर चर्चा की। तेदेपा का वोट बैंक सिकुड़ गया है। उस खालीपन मशहूर उभरते नायक पवन कल्याण ने भरा है। उनकी पार्टी का नाम जन सेना पार्टी है। वह भी एनडीए के साथ गठबंधन करना चाहते हैं।