महाराष्ट्र की राजनीति में अक्सर नये मोड़ आते रहते हैं या नये घटनाक्रम होते रहते हैं। आज की रिपोर्ट में हम बात करेंगे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में मचे नये तूफान की और महाराष्ट्र सरकार में शामिल एक मंत्री के सनसनीखेज दावे की। सबसे पहले बात करते हैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की। अभी हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी थी। पवार ने इसके साथ ही वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्हें अन्य राज्यों की जिम्मेदारी दी थी। उस समय अजित पवार के बारे में कहा गया था कि वह महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद पर हैं इसलिए वह वही काम करते रहेंगे। पार्टी ने यह भी कहा था कि अजित पवार की राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में कोई भूमिका निभाने की इच्छा नहीं है और वह महाराष्ट्र की राजनीति ही करना चाहते हैं इसलिए वह नेता प्रतिपक्ष जैसी महत्वपूर्ण भूमिका में बने रहेंगे। उस दौरान अजित पवार ने खामोश मन से जिस तरह शरद पवार का निर्णय स्वीकारा था उससे माना गया था कि राकांपा में उत्तराधिकार के मुद्दे को हल कर लिया गया है। लेकिन अब जिस तरह से अजित पवार ने अपने मन की बात सामने रखी है उससे स्पष्ट हो गया है कि भतीजे को यह कतई मंजूर नहीं है कि चाचा के साथ मिलकर उन्होंने जिस पार्टी को खड़ा किया था उसकी कमान वह अपनी बेटी को दे दें। यह कुछ वैसा ही है जैसा कि शिवसेना में बाला साहेब ठाकरे के जमाने में देखने को मिला था। उस समय उनके भतीजे राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान सौंपे जाने का विरोध करते हुए कहा था कि जिस पार्टी को खड़ा करने के लिए उन्होंने अपना पसीना बहाया उसकी कमान एकतरफा रूप से अपने पुत्र को सौंपा जाना गलत है। अजित पवार ने अब जो कुछ कहा है उससे महाराष्ट्र की राजनीति में नया तूफान आ गया है। अजित पवार ने पार्टी नेतृत्व से अपील की है कि वह उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त कर दें और उन्हें पार्टी संगठन में कोई भूमिका सौंपें। मुंबई में आयोजित, राकांपा के 24वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में अजित पवार ने यह मांग रखी। ताजा अटकलों को हवा देने वाली एक टिप्पणी में अजित पवार ने यह भी कहा है कि मुझे बताया गया है कि मैं नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सख्त व्यवहार नहीं करता हूं। पहले भी इस तरह की अटकलें लगती रही हैं कि अजित पवार पार्टी छोड़ सकते हैं। जब पिछले दिनों शरद पवार ने एकाएक राकांपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तब अजित पवार ने उनके इस्तीफे का स्वागत भी किया था लेकिन बाद में पार्टीजनों के मनाये जाने पर शरद पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। अजित पवार पिछले विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के साथ जाकर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले चुके हैं। हालांकि वह सरकार चल नहीं पाई थी और फिर बाद में वह पार्टी में लौट आये थे और उद्धव ठाकरे की सरकार में राकांपा कोटे से कैबिनेट मंत्री बने थे।