महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अंदर मची उठापटक के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में जनता दल युनाइटेड और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा को पार्टी में टूट का खतरा सताने लगा है। ऐसा ही डर कुछ और छोटी पार्टियों को भी है। लेकिन सबसे ज्यादा घबराहट जनता दल युनाइटेड खेमे में देखी जा रही है। जनता दल युनाइटेड की यह घबराहट स्वाभाविक भी है क्योंकि उसने भाजपा को जो धोखा दिया था उसका जवाब अब तक नहीं दिया है। दरअसल महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ उसका एक बड़ा कारण यह भी है कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष रहे अमित शाह को चुनाव परिणाम बाद उद्धव ठाकरे ने धोखा दे दिया था। यही नहीं, हाल ही में शरद पवार भी यह बात स्वीकार कर चुके हैं कि चुनाव परिणाम के बाद वह भाजपा के साथ सरकार बनाने को राजी हो गये थे हालांकि तीन-चार दिनों में ही उन्होंने पलटी मार ली थी। इस तरह से शरद पवार ने भी अमित शाह को धोखा दिया था। सही समय आने पर शरद पवार की पार्टी में बगावत हो गयी। स्थिति यह हो गयी है कि अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक शरद पवार भाजपा से लड़ाई लडऩे की बजाय अपनी पूरी शक्ति अपनी पार्टी पर कब्जा बनाये रखने में लगाते रहेंगे। इसलिए महाराष्ट्र के घटनाक्रम को देखते हुए अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लग रहा है कि उन्हें भी राजनीतिक सबक सिखाये जाने का समय आ चुका है। हम आपको याद दिला दें कि साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान जनता के बीच नीतीश कुमार के खिलाफ माहौल होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए वोट मांगा था। यही नहीं, प्रधानमंत्री की दी गयी जुबान की लाज रखते हुए ही भाजपा ने अपनी पार्टी के ज्यादा विधायक होने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया था। लेकिन नीतीश कुमार ने जब पिछले साल भाजपा को सरकार से बाहर कर विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिला लिया था तबसे वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। देखा जाये तो नीतीश कुमार ने केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को हटाने के लिए पूरी जान लगा रखी है। हालांकि जबसे नीतीश साथ छोड़ कर गये हैं तबसे प्रधानमंत्री ने उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा है। लेकिन अब माना जा रहा है कि भाजपा जदयू को कोई बड़ा राजनीतिक सबक सिखा सकती है। दरअसल इसका मौका खुद जदयू ही भाजपा को दे रही है। लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे पास आ रहे हैं, वैसे-वैसे मोदी के नाम पर पिछला चुनाव जीते जदयू सांसदों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं और वह पाला बदलने की कोशिशों में लगे हैं। इसके साथ ही जिस तरह नीतीश ने पिछले दिनों तेजस्वी यादव को भविष्य का नेता बताया था उसको देखते हुए जदयू के कई विधायकों के मन में भी बेचैनी है। इसीलिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कह रहे हैं कि जदयू में बिखराव होने वाला है। हालांकि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह कह रहे हैं कि हमारी पार्टी एकजुट है और बिहार में ऑपरेशन लोटस सफल नहीं हो सकता। देखना होगा कि बिहार में आने वाले दिनों में राजनीतिक घटनाक्रम क्या रहता है? यह भी देखना होगा कि क्या विपक्ष की अगली बैठक से पहले ही जनता दल युनाइटेड में बगावत का बिगुल बजता है। इस बात की आशंका इसलिए है क्योंकि विपक्ष की पिछली बैठक से पहले जीतन राम मांझी की पार्टी ने बिहार में सत्तारुढ़ महागठबंधन को झटका देते हुए सरकार से अलग होकर एनडीए का दामन थाम लिया था। बहरहाल, अब खबर है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की कवायद को गति देने के लिए प्रमुख विपक्षी पार्टियों की आगामी बैठक 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी। हम आपको याद दिला दें कि कांग्रेस समेत 15 से अधिक विपक्षी दलों ने गत 23 जून को पटना में बैठक की थी जिसमें उन्होंने भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लडऩे और आगे बढऩे को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी। विपक्षी दलों की अगली बैठक ऐसे समय होने जा रही है जब महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दो फाड़ हो गई है।