दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहानिसबर्ग में शुरू हुई ब्रिक्स देशों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी से चीन के अफ्रीकी देशों में की जाने वाली आर्थिक घुसपैठ पर बड़ा विराम लग सकता है। इसके लिए भारत अपने पुराने दोस्त रूस की ना सिर्फ मदद ले सकता है बल्कि दक्षिण अफ्रीका और रूस के बेहतर रिश्तों का फायदा उठाते हुए चीन की ओर से किए जाने वाले भारी निवेश को काउंटर भी कर सकता है। विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि मंगलवार से शुरू हुई ब्रिक्स देशों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ्रीकी देशों में चीन के हस्तक्षेप को कम करने के लिए इस दौरान बड़े फैसले भी ले सकते हैं और कई कूटनीतिक कदम भी उठा सकते हैं। दरअसल चीन ने बीते कुछ सालों में अफ्रीका के अलग-अलग देशों में दो सौ बिलियन मिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश कर वहां पर अपना नेटवर्क बनाना शुरू कर दिया। इसमें चीन ने सबसे ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ सड़क पुल और बंदरगाहों में भारी निवेश किया है। जोहानिसबर्ग में शुरू हुई ब्रिक्स देशों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। 2019 यानी कि कोविड के बाद ब्रिक्स देशों की यह पहली ऐसी बैठक है जिसमें सभी नेता आमने-सामने होंगे। ऐसे में सभी देश के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में नए सिरे से पांचों देशों के आपसी सामंजस्य के साथ-साथ भविष्य की आर्थिक रणनीतियों पर भी चर्चा होगी। हालांकि, इस दौरान चीन की अफ्रीकी देशों में होने वाली आर्थिक घुसपैठ पर लगाम लगाए जाने वाली रणनीति को मजबूती के साथ काउंटर करना सबसे महत्वपूर्ण होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी कोशिश यही होगी कि इस दौरान वह भारत की ओर से अफ्रीकी देशों में किए जाने वाले निवेश को लेकर दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील समेत वहां के सभी छोटे छोटे अफ्रीकी देशों को एक बड़ा संदेश देने में कामयाब हों। दक्षिण अफ्रीका और रूस के हाल के दिनों में संबंध और मजबूत हुए हैं। भारत को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है। अमरेंद्र कठुआ कहते हैं कि भारत और रूस अपने पुराने मजबूत रिश्तो की बदौलत दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील समेत इस महाद्वीप के अन्य देशों में चीन की अपेक्षा ज्यादा विश्वास पैदा कर सकता है। ऐसी दशाओं में भारत इस पूरे महाद्वीप में निवेश का पूरा रोड मैप और खाका तैयार कर चीन को बहुत बड़े स्तर पर काउंटर कर सकता है। इस बात की भी चर्चा हा कि चीन ने गरीब अफ्रीकी देशों में बड़ा निवेश करके वहां की न सिर्फ सरकारों को अपने हक में किया बल्कि अपने देश का बड़ा नेटवर्क इन देशों के माध्यम से मजबूत किया। मजबूत किए गए नेटवर्क के माध्यम से चीन अपने व्यापार को तो बढ़ा ही रहा है बल्कि वह अफ्रीकी महाद्वीप से यूरोप और अमेरिका पर भी अपनी पैनी नजर रख रहा है।