Home इन दिनों संविधान सभा में बताए थे भारत के मायने

संविधान सभा में बताए थे भारत के मायने

67
0

इंडिया बनाम भारत की चर्चा इस वक्त देश में सबसे ज्यादा हो रही है। अब जब चर्चा हो रही है कि क्या आधिकारिक रूप से देश का नाम बदलने वाला है। ऐसे में देश का संविधान लिखने वाली सभा की एक पर हुई बहस के बारे में जानना भी जरूरी होगा। जो बेहद दिलचस्प थी। संविधान का अनुच्छेद एक कहता है इंडिया, यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा। हालांकि, मूल मसौदे में भारत नाम का कोई जिक्र नहीं था। दरअसल, चार नवंबर 1948 को संविधान सभा में संविधान का मसौदा पेश किया गया था। यह मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा तैयार किया गया था। लगभग एक साल बाद 17 सितंबर 1949 को अंबेडकर ने एक प्रस्ताव रखा जिसमें पहले उप खंड में भारत नाम के संशोधन में बदलाव का सुझाव दिया गया। 18 सितंबर 1949 को आजाद देश को एक के बजाय दो नाम देने के प्रस्ताव के बारे में सदस्यों के बीच भारी असहमति देखने को मिली थी। प्रारंभिक प्रावधान पर संविधान सभा में इंडिया और भारत के बीच संबंध पर काफी चर्चा हुई। सदस्यों ने कई संशोधनों का सुझाव दिया लेकिन किसी को भी स्वीकार नहीं किया गया। अंबेडकर के बाद ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता एचवी कामथ ने पहले उप खंड के हिस्से को भारत या अंग्रेजी में इंडिया से बदलने का प्रस्ताव करते हुए पहला संशोधन पेश किया। कामथ यह प्रस्ताव आयरिश संविधान से प्रेरणा लेते हुए सामने लेकर आए थे। इसी चर्चा में कांग्रेस के एक अन्य सदस्य कमलापति त्रिपाठी भी जुड़े। कमलापति ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत को इंडिया से अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कमलापति ने संशोधन प्रस्ताव पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इस दौरान उन्होंने कहा, आज देश के नाम को लेकर एक संशोधन हमारे सामने है, मुझे खुशी होती अगर प्रारूप समिति ने इस संशोधन को किसी अलग रूप में प्रस्तुत किया होता। यदि इंडिया दैट इज भारत के अलावा किसी अन्य अभिव्यक्ति का इस्तेमाल किया गया होता तो मैं सोचता हूं, यह इस देश की प्रतिष्ठा और परंपराओं के अधिक अनुरूप होता और वास्तव में इससे इस संविधान सभा का भी अधिक सम्मान होता। यदि दैट इज शब्द आवश्यक होते तो, जो प्रस्ताव हमारे सामने प्रस्तुत किया गया है उसमें भारत दैट इज इंडिया शब्द का प्रयोग करना अधिक उचित होता। मेरे मित्र कामथ ने यह संशोधन पेश किया है कि ‘भारत जैसा कि इसे अंग्रेजी भाषा में इंडिया कहा जाता है का प्रयोग किया जाना चाहिए। प्रारूप समिति ने इसे स्वीकार कर लिया था यदि वह अब भी इसे स्वीकार करती है तो यह हमारी भावनाओं और हमारे देश की प्रतिष्ठा के प्रति सराहनीय विचार होगा। हमें इसे स्वीकार करने में बहुत खुशी होती।