तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने जब सनातन पर विवादित बयान दिया तो उनको इस बात का अंदाजा जरूर रहा होगा कि इसका असर कितना व्यापक होने वाला है। अब उसी सनातन के विवादित बयान के आधार पर भारतीय जनता पार्टी ने जब तमिलनाडु के रास्ते नॉर्थ इंडिया के राज्यों में लॉन्ग डिस्टेंस सियासत की रणनीति बनाकर आगे बढऩा शुरू किया है। योजना के मुताबिक, तमिलनाडु के मंत्री की सनातन पर की गई तल्ख टिप्पणी के बाद अब अयोध्या और बनारस के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी अपनी सियासत को मजबूत करने जा रही है। इसके लिए बाकायदा तमिलनाडु बीजेपी से लेकर केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के पदाधिकारियों से विचार विमर्श भी किया गया है। इसमें तमिलनाडु के तीन प्रमुख शहरों से स्टालिन को काउंटर करने और वहां से सनातन की सियासत की बड़ी रणनीति बनाई जा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने डीएमके के नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन पर दिए गए विवादित बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मियों को आगे बढ़ा दिया है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उदयनिधि ने भले ही तमिलनाडु में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए अपने बाबा एम करुणानिधि की सियासत का दांव चला है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु के विवादित बयान को उत्तर भारत में सियासी रूप से बहुत बड़ा बनाने की योजना बना डाली है। योजना के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी अब सनातन के मुद्दे पर तमिलनाडु को सीधे अयोध्या और बनारस से जोडऩे जा रही है। अयोध्या में अगले साल होने वाले राम मंदिर के शुभारंभ पर तमिलनाडु से आने वाले राम भक्तों की संख्या सबसे ज्यादा होने वाली है। अभी भी बनारस और अयोध्या में लगातार दक्षिण भारत के राज्यों में तमिलनाडु के लोगों की संख्या इन शहरों में सबसे ज्यादा हो रही है। रणनीति के मुताबिक तमिलनाडु में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अयोध्या और बनारस में दर्शन के माध्यम से सनातन को मजबूत करने का सफल प्रयास करने की योजना बनाई गई है। योजना के मुताबिक, रामलला के दर्शन करने के साथ काशी विश्वनाथ के दर्शन को आने वाली ट्रेनों और वहां से आने वाले भक्तों की संख्या को देखते हुए भाजपा की तमिलनाडु इकाई ने बड़ा अभियान शुरू किया है। तमिलनाडु के एक वरिष्ठ भाजपा नेता बताते हैं कि जनवरी में रामलला के दर्शन की शुरुआत वाले दिन के आसपास सिर्फ तमिलनाडु से ही पांच लाख लोगों के जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह संख्या वह दोगुनी करने की तैयारी में लगे हुए हैं। हालांकि,बीते डेढ़ साल के भीतर तमिलनाडु के अलग-अलग इलाकों के हजारों लोगों ने न सिर्फ काशी विश्वनाथ का दर्शन किया है बल्कि अयोध्या में रामलला के भी दर्शन किए हैं।