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कौन बनेगा दिल्ली भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष

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नईदिल्ली। दिल्ली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के इस्तीफे के बाद अब चर्चा यह हो रही है कि आखिर पूर्णकालिक अध्यक्ष कौन बनेगा। हालांकि दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही पूर्णकालिक अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए ही नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा करेगी। दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा एक बार से इस बात की भी हो रही है कि क्या फिर से सात सांसदों में से कोई एक सांसद चुनावी समीकरणों को साधते हुए दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनेगा।
दिल्ली में हुए एमसीडी चुनावों में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसको स्वीकार करते हुए वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वैसे तो तीन साल तक चलने वाले प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल अगले साल जुलाई में पूरा होने वाला था। राजनीतिक समीकरणों के चलते गुप्ता के इस्तीफा देने से दिल्ली भाजपा की राजनीति में अचानक सरगर्मियां तेज हो गईं। भाजपा के राजनीति खेमे में चर्चा हो रही है कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फिलहाल अभी इस पर तो कोई रायशुमारी नहीं हुई है कि भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। लेकिन यह तय है कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा वह न सिर्फ जातिगत समीकरणों को साधने वाला होगा बल्कि इलाकाई समीकरणों के साथ-साथ दिल्ली की राजनीति में जबरदस्त दखल रखने वाला व्यक्ति ही प्रदेश अध्यक्ष की रेस में शामिल होगा।
सूत्रों की मानें तो दिल्ली भाजपा के सियासी गलियारों में प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भाजपा के सात सांसदों में से कुछ सांसदों के नामों की भी चर्चा हो रही है। दरअसल आदेश गुप्ता से पहले दिल्ली में भाजपा सांसद और भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। चूंकि दिल्ली में पूर्वांचल का अच्छा खासा वोट बैंक भी है, इस लिहाज से एक बार फिर से मनोज तिवारी के नाम को लेकर राजनैतिक सुगबुगाहट हो रही है। इसके अलावा दिल्ली के ही सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा के नाम को लेकर भी चर्चाएं हैं। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि जाट वोट बैंक को साधने के लिहाज और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे होने के चलते दिल्ली की नब्ज को बखूबी समझते भी हैं। इसलिए पार्टी प्रवेश पर भी दाव लगा सकती है। इन दो सांसदों के अलावा एक और नाम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर आगे चल रहा है। उसमें दिल्ली के ही सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन का नाम भी चर्चा में चल रहा है। जबकि चौथे नाम पर केंद्र में मंत्री मीनाक्षी लेखी की भी चर्चा दिल्ली भाजपा के सियासी गलियारों में चल रही है।
सूत्रों का कहना है कि जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा वह दिल्ली की राजनीति को न सिर्फ भली-भांति समझने वाला होगा, बल्कि सियासत की बिसात पर वोट बैंक को मजबूती से जोड़ने वाला भी होगा। भाजपा से जुड़े सूत्र कहते हैं कि एमसीडी में चुनाव के बाद पार्टी ने गहन बैठक और मंत्रणा भी की है। दिल्ली के सभी भाजपा के सांसदों के इलाकों में आने वाली पार्षद की सीटों का आकलन किया गया है। भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर दिल्ली के सांसदों में से किसी एक को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा, तो उसका पूरा रिपोर्ट कार्ड उसके क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा के साथ-साथ पार्षदों की जीती गई सीटों का आधार बनेगा। अगर सांसदों में से ही किसी एक को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा, जातिगत समीकरणों और इलाकाई समीकरणों के लिहाज से उसकी कितनी पैठ है, इसके भी मायने तलाशे जाएंगे।
हालांकि सियासी गलियारों में चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि मोदी कैबिनेट के प्रस्तावित फेरबदल में दिल्ली के सांसदों में भी कुछ जिम्मेदारियों का आदान-प्रदान हो सकता। दरअसल पिछली बार भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद डॉ. हर्षवर्धन को मंत्रिमंडल से ड्रॉप किया गया था। दिल्ली भाजपा से प्रदेश स्तर के पदाधिकारी कहते हैं कि उम्मीद यही जताई जा रही है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल या विस्तार में इस बार दिल्ली के किसी और सांसद को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
हालांकि भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि संभव है कि पार्टी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को ही अगले कुछ महीनों तक बतौर कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर पार्टी संगठन को मजबूत करती रहे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि सचदेवा के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष बनने से दिल्ली के पंजाबी कम्युनिटी में एक संदेश तो जा ही रहा है। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए ही दिल्ली में इस बार प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा के चुनाव में कोई कमजोरी न रहे इसके लिए सियासत की बिसात पर भाजपा पुख्ता राजनीतिक मोहरे बिछाएगी। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यही वजह है कि दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को चुनने में पार्टी कोई जल्दबाजी नहीं करने वाली है।