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आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी

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अगले साल होने वाले राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के चुनाव में भाजपा से लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपने-अपने दांव से चुनावी चौसर सजानी शुरू कर दी है। भाजपा जहां गुजरात में मिली एतिहासिक जीत के साथ उत्साह में हैं। वहीं कांग्रेस भी हिमाचल प्रदेश में भाजपा को सत्ता से बाहर कर अपनी जीत पर इतरा रही है। फिलहाल दोनों पार्टियों को मिली अलग-अलग राज्यों की जीत ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में नई ऊर्जा तो भर ही दी है। वहीं दोनों पार्टियां गुजरात और हिमाचल के अपने-अपने फॉर्मूले को अगले साल होने वाले चुनावों में इस्तेमाल करने वाली हैं। अगले साल होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के चुनाव भाजपा और कांग्रेस पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। भाजपा ने गुजरात में जो इतिहास रचा उसके पीछे जबरदस्त रणनीति ही रही है। इसमें सबसे अहम रणनीति का हिस्सा एक चौथाई नेताओं को दोबारा टिकट न देने से लेकर जनता के बीच मोदी के चेहरे और विश्वास का भुनाना शामिल है। पार्टी ने अगले साल होने वाले अलग-अलग राज्यों के चुनावों को लेकर न सिर्फ नीतियां बनानी शुरू कर दी हैं, बल्कि बीते कई महीनों से संगठनात्मक स्तर पर पूरा ढांचा दुरुस्त कर उसका फीडबैक भी लेना शुरू किया जा चुका है। वह कहते हैं कि कर्नाटक और तेलंगाना समेत छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा ने बहुत प्रभावशाली तरीके से चुनाव की रणनीति और तैयारियां शुरू कर दी हैं। वह कहते हैं कि भाजपा को 2018 के चुनावों में कर्नाटक और मध्यप्रदेश में सत्ता तो नहीं मिली थी, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों के चलते बाद में भाजपा की सरकार बनी। इसलिए भाजपा को इस बार इन चुनावों में अलग रणनीति के साथ ही मैदान में उतरना होगा। अगले साल होने वाले चुनावों के लिए सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भी उसी तरीके की रणनीति बना रही है। कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में जिस तरीके से ‘मुद्दों को आगेÓ करके और लोगों को सीधे तौर पर उनसे जोड़कर के चुनाव लड़ा गया, उसी पैटर्न पर अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में उतरेंगे। हालांकि अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उसमें छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तो कांग्रेस की सरकार भी है। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी थी। कर्नाटक में भी राजनीतिक समीकरणों के चलते कांग्रेस की सरकार बनी थी।