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प्रदेश में युवाओं के लिए रोजगार मेला

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प्रदेश में जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन केंद्र के माध्यम से विभिन्न जिलों में वृहद रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है। इस तरह के मेले पहले भी होते रहे हैं लेकिन इस साल जो मेला आयोजित किए जा रहे हैं उसमें पदों की सख्या को लेकर आश्चर्य हो रहा है। रायपुर में 46 हजार से अधिक पदों पर भर्ती के लिए रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए बकायदा साक्षात्कार स्थलों को तय किया गया है। इसी तरह दुर्ग जिले में भी लगभग 42 हजार विभिन्न पदों में भर्ती के लिए रोजगार मेले का आयोजन किया गया है। ये सभी रिक्त पद विभिन्न निजी कंपनियों के अलग-अलग कार्यों के लिए हैं। ज्यादातर भर्ती मशीन ऑपरेटर, हेल्पर, असोसिएट जैसे पदों पर हो रही है। कुछ कंपनियां तो विभिन्न कंपनियों के लिए कर्मचारी की नियुक्ति करने वाली प्लेसमेंट एजेंसियां है। ज्यादातर पर छत्तीसगढ़ के बाहर दूसरे राज्यों में काम करने के लिए निकाले गए है। 90 प्रतिशत से अधिक पदों पर भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8वीं से 12वीं तक उत्तीर्ण करने की है और इन पदों पर सामान्यतौर पर 8 से 15 हजार रुपए तक के वेतन का प्रावधान है। कुछ कंपनियां इतनी भारी संख्या में भर्ती करने की इच्छुक है कि सहसा विश्वास नहीं होता, जैसे तमिलनाड की गारमेंट कंपनी 4 हजार और 3 हजार पदों पर भर्ती करने के इच्छुक है। एक ऑटोमोबाइल कंपनी 8वीं पास बेरोजगारों की 2 हजार पदों पर भर्ती करना चाहती है। शाही एक्सपोर्ट नामक कंपनी ने तो कर्नाटक में काम करने के लिए 5 हजार रिक्तियों की अनुमानित संख्या बताई है। इस तरह की भर्तियों को लेकर छत्तीसगढ़ शासन का रोजगार विभाग उत्साहित है। एक तरफ निजी कंपनी छत्तीसगढ़ में 0.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर होने का दावा करती है और दूसरी ओर मात्र 2 जिलों में एक लाख के करीब पदों पर नौकरी देने के लिए रोजगार के लिए आवेदन मंगा रहा है। सवाल यह है कि जब बेरोजगार प्रदेश में है ही नहीं तो फिर इतने सारे आवेदक कहां से मिलेंगे? अगर मिल गए तो रोजगार विभाग को इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि प्रदेश के बच्चे की नौकरी जिन कंपनियों में लग रही है वहां पर उनके हितों की सुरक्षा हो पाएगी या नहीं? छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी के हजारों मामले हर साल सामने आते है। सरगुजा संभाग के कुछ जिलों से उत्तर भारत की प्लेसमेंट एजेंसियां नौकरी देने के नाम पर लड़कियों को ले जाती है और फिर उनका शोषण होता है। रोजगार विभाग को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो बच्चे जिन कंपनियों में नौकरी करने जाएंगे वहां पर किसी प्रकार का आर्थिक व शारीरिक शोषण न हो। बेरोजगार युवा तो मजबूर होता है, चाहता है किसी तरह नौकरी मिल जाए लेकिन सरकार जब बिचौलिया हो तो उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना विभाग की जिम्मेदारी है।