Home इन दिनों स्मार्ट शहर में उद्यान की कमी

स्मार्ट शहर में उद्यान की कमी

80
0

छत्तीसगढ़ का राज्य का निर्माण नहीं हुआ था उसके पहले रायपुर शहर की आबादी 5-6 लाख के आसपास थी। लेकिन शहर में एक दर्जन उद्यान मौजूद थे। शनिवार-रविवार के दिन गांधी उद्यान, गुलाब उद्यान, मोतीबाग, बूढ़ा गार्डन, गुरुतेग बहादुर उद्यान में परिवार सहित मनोरंजन के लिए लोग जाते थे। सन् 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना और रायपुर उसकी राजधानी बनी। शुरु से ही इस बात की चिंता की गई कि प्रदेश की राजधानी के लिए रायपुर नगर से बाहर एक नया शहर का विकास करना चाहिए। इसलिए रायपुर का व्यवस्थित विकास करने के बजाय नई राजधानी बनाने में सरकार ज्यादा मशगुल रही। अब रायपुर शहर पुराना रायपुर हो गया और राज्य बनने के बाद एकाएक आबादी बढऩे लगी। अभी 2021 की जनगणना नहीं हुई लेकिन अनुमान है कि रायपुर शहर की आबादी लगभग 20 लाख है। इसका मतलब है कि पिछले 22 वर्षों में आबादी 4 गुना बढ़ गई है। ये इस बात से भी पता चलता है कि सड़कों पर जिस तरह से लोगों की भीड़ उमड़ती है और ट्रैफिक जाम होता है। उससे लगता है कि शहर में क्षमता से ज्यादा लोग मौजूद है। ऐसी बात नहीं है कि यातायात का दबाव कम करने के लिए सड़कें चौड़ी नहीं हुईं, फ्लाईओवर नहीं बने, यहां तक कि नहरों को पाटकर कैनाल लिंक और छोटी रेलवे लाइन के ऊपर एक्सप्रेस हाईवे तैयार कर दिए गए है। इसके बावजूद भी शहर में गाडिय़ों की भीड़ और उसके कारण यातायात पर दबाव कम नहीं हो रहा है। दुर्घटनाएं बढ़ गईं है। इन सबके बीच राजधानी में मनोरंजन के स्थान नहीं बढ़ पाए। जितने उद्यान राज्य बनने के समय थे, उसके बाद कलेक्टर परिसर में ऑक्सीजोन का निर्माण को गिना जा सकता है। लेकिन इसके बदले शहर के आसपास कितनी कॉलोनियां बसी है उस अनुपात में उद्यान विकसित नहीं हो पाए। ऊपर से जो उद्यान लोगों के मनोरंजन के काम आते थे उन पर भी प्रशासन की वक्र दृष्टि पड़ गई। बूढ़ा गार्डन अस्त-व्यस्त है। गार्डन के पास तालाब के किनारे एक मनोरंजन स्थल बनाया गया है लेकिन वहां उद्यान का मजा नहीं है। रायपुर का सबसे लोकप्रिय उद्यान मोतीबाग था। लेकिन राज्य बनने के बाद इस उद्यान के चारों ओर भवन बन गए, उद्यान का आकार छोटा होता चला गया। अब स्थिति यह है कि यह उद्यान आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। इस उद्यान के सौंदर्यींकरण पर पिछले 22 वर्षों में कई बार करोड़ों रुपए फूंक दिए गए लेकिन उद्यान की न तो दशा सुधरी न विस्तार हुआ। इस बीच केंद्र सरकार ने शहरों को स्मार्ट बनाने की एक योजना 2016 में लेकर आई। इस स्मार्ट शहर परियोजना में रायपुर भी शामिल है। इस परियोजना के लिए करोड़ों रुपए मिले। लेकिन अभी भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी एजेंसी के लिए रायपुर शहर में उद्यान का विकास प्राथमिकता नहीं है। जितने छोटे-छोटे उद्यान कॉलोनियों और मोहल्लों में विकसित हुए उनकी दुर्दशा देखते ही बनती है। आज भी किसी शहर के लिए पर्यटन और मनोरंजन का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र उद्यान ही है। राज्य बना उसके पहले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का विकास देखे तो जगह-जगह पर सुंदर उद्यान विकसित किए गए है। भारत में पिछले 50 वर्षों में जितने नए शहर बने है, जिनमें मैसूर, बैंगलौर, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ या जिस राज्य की राजधानी में आप चलें जाएं वहां बड़े और खूबसूरत उद्यान शहर की खूबसूरती को बढ़ाते है। उद्यान में पेड़ पौधे पर्यावरण को भी दुरुस्त रखता है। ऐसा लगता है कि रायपुर केवल एक व्यापारिक शहर बनकर रह गया है जहां पैसों का लेन-देन और बाजार तो बड़े-बड़े सजते हैं लेकिन तनाव भरी जिंदगी में सुकुन का पल बिताने के लिए हरी-भरी जगह देखने को नहीं मिलती। स्मार्ट सिटी एजेसी या नगर निगम इन्हें चाहिए कि शहर के चिन्हित खाली पड़े स्थानों पर बड़े-बड़े भवन और शॉपिंग सेंटर न बनाकर अच्छे उद्यान विकसित करें। जो उद्यान बने हुए है उनका विस्तार करे और जो बदहाल है उनका सौंदर्यींकरण कर लोगों के उपयोग के लायक बनाए। प्रदेश का विकास राजधानी की खूबसूरती को दर्शाता है। बाहर से आने वाला व्यक्ति राजधानी की हरियाली और उद्यानों को देखकर प्रदेश की सोच का आंकलन करता है।