हमारे देश में जनता जिसे सिर पर चढ़ाती है उसके लिए सब कुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती है। ऐसे लोगों की एक झलक देखने के लिए लोगों का हुजूम निकल पड़ता है। राजनीति के क्षेत्र में महात्मा गांधी और पं. जवाहर लाल नेहरु कभी देश के हीरो हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे राजनीति में वह स्टारडम खत्म होने लगा। अब समाज के हीरो फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियां या तो क्रिकेट के सफल खिलाड़ी बन गए है। इसके बावजूद आजकल के नेता अपने आप को व्हीआईपी से कम नहीं समझते। किसी कार्यक्रम में अगर उन्हें मुख्यअतिथि न बनाए और सामान्य निमंत्रण भेज दें तो कार्यक्रम कितना ही महत्वपूर्ण क्यों न हो वहां जाना उन्हें अपमानजनक लगता है। वैसे कार्यक्रमों में व्हीआईपी बनाकर नेताओं को बुलाने की भी परंपरा हो गयी है। आजकल मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में भी व्हीआईपी के लिए अलग स्थान होता है। जिन्होंने जीवन में कुछ हासिल किया है उन्हें विशेष दर्जा देकर समाज सम्मानित करे तो समझ में भी आता है। लेकिन आजकल हर व्यक्ति अपने आप को व्हीआईपी समझकर विशेष रियायतें चाहता है। खासकर जहां सुरक्षाकर्मी तलाशी लेकर अपनी ड्यूटी निभाना चाहते है वहां लोगों का अभिमान आ जाता है, जबकि वह सुरक्षाकर्मी अपनी ड्यूटी निभा रहा होता है। राजमार्गों पर बने टोल नाकों पर से बिना टोल टैक्स दिए गुजरने को भी व्हीआईपी अभिमान से जोड़कर देखा जा सकता है। भले ही 20-25 रुपए टोल टैक्स देना पड़ता हो लेकिन लाखों रुपए की गाड़ी चलाने वाला व्यक्ति चाहता है कि व्हीआईपी के लिए मिली छूट उसे हासिल हो जाए। अगर टोल प्लाजा के कर्मचारी उनसे पैसे मांग ले तो उनके अभिमान पर चोट लग जाती है। ऐसी कितनी ही घटनाएं पूरे देशभर में सामने आती है। ताजा घटना कोरबा जिले में 70 रुपए टोल टैक्स नहीं देने की जिद में टोल कर्मचारी के ऊपर अपनी मोटर गाड़ी चढ़ा देने की है। इस घटना में कर्मचारी घायल है और गाड़ी चलाने वाले युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया है। रायपुर-भिलाई रोड पर सांसद, मंत्री और विधायकों के समर्थकों ने टोल चार्ज नहीं पटाने की जिद पर कितनी बार तोडफ़ोड़ और मारपीट की है। ऐसा नहीं है कि टोल टैक्स देने के पैसे नहीं होते लेकिन व्हीआईपी होने का अभिमान उनको अपनी जेब से पैसे निकालने में रोकता है। इस तरह की घटनाएँ होती रहती है लेकिन जिन नेताओं के समर्थक ऐसी घटना को अंजाम देते है उनके खिलाफ न तो प्रशासन और न ही राजनीतिक पार्टियां कोई कार्रवाई।