मध्यप्रदेश में मिशन 2023 को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पांचवी बार राज्य में कमल खिलाने का सपना संजो रही भाजपा को एक सर्वे ने परेशानी में डाल दिया है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आगामी चुनाव को देखते हुए अलग-अलग सर्वे कराए हैं। इनमें अधिकांश के नतीजे मिलते जुलते आए हैं। इस सर्वे में 50 से अधिक मौजूदा विधायकों की स्थिति खराब बताई जा रही है। वहीं करीब एक दर्जन से अधिक मंत्रियों में आधे से ज्यादा सिंधिया समर्थक मंत्रियों की स्थिति भी कमजोर बताई जा रही है। संगठन के सर्वे के बाद आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट कटने की संभावना बढ़ गई है। सर्वे की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यदि टिकट वितरण में गुजरात फॉर्मूला भी लागू किया गया, तो मौजूदा विधायकों में करीब 40-50 विधायकों के टिकट पर संकट खड़ा हो जाएगा। इससे पार्टी नए और युवा चेहरे को मौका देगी। इस रिपोर्ट में ग्वालियर चंबल संभाग के साथ विंध्य और महाकौशल अंचल में पार्टी को ज्यादा नुकसान की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा मालवा बेल्ट की भी कुछ सीटों पर पार्टी की हालत ठीक नहीं बताई जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जिन 230 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। इस बार उस सूची में करीब 100 नाम बदलने के आसार नजर आ रहे हैं। पिछले चुनावों में पार्टी को आदिवासी सीटों पर भारी नुकसान हुआ था। इस बार पार्टी ने नए आदिवासी नेताओं को ज्यादा तवज्जो देने का मन बनाया है। विधानसभा चुनावों में नए चेहरे सामने आने की उम्मीद है। 2018 के चुनाव में भाजपा ने 109 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद राज्य में हुए उपचुनावों में भाजपा की सीटें बढ़कर 127 हो गई। जबकि कांग्रेस की सीटें 114 से घटकर 96 पर रह गई हैं। नए साल शुरू होते ही भाजपा ने 100 से अधिक हारी सीटों पर फोकस करना शुरू कर दिया है। ऐसी सीटों पर बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बीएलए को पार्टी ने छह माह पहले प्रशिक्षण भी दिया था। अब उन्हें नए सिर से सक्रिय करने की कवायद संगठन ने शुरू कर दी है। भाजपा ने हर बूथ पर वोट शेयर बढाकर 51 फीसदी करने का टारगेट तय किया है। कई जिलों में निष्क्रिय पड़ी बूथ समितियों को भी संगठन और जनप्रतिनिधि एक्टिव करने में जुट गए हैं। संगठन को मिले फीडबैक में प्रभारी मंत्रियों की उदासीनता, जनप्रतिनिधियों और मैदानी कार्यकर्ताओं के बीच संवादहीनता की स्थिति सामने आई है। हारी हुई सभी सीटों के प्रभारी और संबंधित क्षेत्रों के नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों के फीडबैक संगठन के नेताओं को दे दिए हैं। इनमें ग्वालियर-चंबल, महाकौशल अंचल से लेकर विंध्य, बुंदेलखंड और मालवा-निमाड़ की सीटों पर पार्टी की स्थिति खराब बताई गई है। यहीं कारण है कि संगठन ने हारी हुई सीटों और आदिवासी सीटों पर जीत के लिए अलग से रणनीति बनाने का निर्णय लिया है।