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जिला खनिज फंड का उपयोग या दुरुपयोग

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हमेशा एक मुहावरा प्रचलित हुआ है कि बहुमूल्य खनिजों से परिपूर्ण क्षेत्रों के लोग गरीब होते है। इन्हें खदान से निकाल कर उद्योग लगाने वाले अमीर कहलाते है। इस प्रक्रिया में खनिज वाले क्षेत्र में रहने वाले लोगों का विस्थापन भी होता है। यह विवाद कई दशकों से चल रहा है कि खनिज के उत्खनन से प्रभावित लोगों का कल्याण कैसे हो? 2015 में एक कानून पारित कर जिला खनिज फाउंडेशन की स्थापना की गई जो कलेक्टर के अधीन काम करने वाला एक गैर लाभकारी संस्था है। इस फाउंडेशन में खनिजों से होने वाले लाभ का एक अंश डाला जाएगा जिसका उपयोग खनिज उत्खनन से प्रभावित लोगों के कल्याण और विकास के लिए किया जाना है। छत्तीसगढ़ के 15 जिलों में जिला खनिज फाउंडेशन की स्थापना की गई है और अधिकांश जिले वन क्षेत्रों में आते है जहां जनजातीय समाज रहते है। जब से यह फाउंडेशन गठित हुआ है इसमें सैकड़ों करोड़ रुपए जिलों को मिले है। इस राशि का कितना सदुपयोग खदान क्षेत्र के प्रभावित लोगों के लिए हुआ है इसका कोई मू्ल्यांकन अभी तक नहीं किया है लेकिन हर जिले से इस फंड के दुरुपयोग करने की खबरें लगातार आती है। पिछले कई सत्रों से छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी इस संबंध में प्रश्न उठ रहे हैं और जिला खनिज न्यास को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाती है। अनेक शिकायतें मंत्री, विधायक और विभिन्न संगठन खनिज न्यास के संबंध में करते रहे हैं। कुछ प्रश्न शिकायतों की जांच के संबंध में भी किए जाते रहे हैं लेकिन कभी शिकायतों की जांच के संंबध में सही जानकारी सदन में नहीं आती। उदाहरण के लिए हाल में संपन्न शीतकालीन सत्र में भी 2 साल में 9 गड़बड़ी शिकायतों का जिक्र किया गया। लेकिन किसी भी मामले में न तो पूरी हुई और न ही किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई की। खनिज न्यास को मिली राशि का कलेक्टर अपने विवेकाधिकार से खर्च कर देता है जबकि खर्च कहां और कैसे होना है इसके लिए न्यास का संगठन है जिसमें जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी शामिल होते है। खनिज न्यास की राशि को ऐसे कार्यों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है जिसका खनिज खनन प्रभावित क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है। जैसे जिला मुख्यालयों में विद्यार्थियों को कोचिंग दी जा रही है, गौठानों का निर्माण हो रहा है, स्वामी आत्मानंद विद्यालय बनाए जा रहे हैं। वैसे यह कार्य अच्छे है लेकिन गरीबों का कितना भला इन कार्यों से हो रहा है इसकी गणना नहीं की जा सकती। अगर फंड केवल प्रभावित लोगों के लिए ही खर्च हो तभी इस न्यास की सार्थकता है।