गणतंत्र दिवस के अवसर पर जगदलपुर में परेड की सलामी लेने के बाद जनता के नाम अपने संदेश में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के बेरोजगारों युवकों को महंगाई भत्ता देने की घोषणा की। इधर मुख्यमंत्री ने अपनी घोषणा में 2 बातों का उल्लेख नहीं किया है। एक प्रत्येक माह बेरोजगारों को भत्ते के रुप में कितनी राशि दी जाएगी और दूसरी बात कि कितने बेरोजगारों को यह भत्ता दिया जाएगा। प्रदेश भर में जगह-जगह होर्डिंग लगे है जिसमें लिखा है कि प्रदेश में बेरोजगारी दर शून्य के करीब है। यह बात सही भी है क्योंकि एक निजी संस्था ने पिछले महीने प्रदेश में बेरोजगारी दर को 0.1 प्रतिशत बताया था। जबकि जिला रोजगार केंद्रों में जो पंजी में दर्ज रोजगार चाहने वालों की संख्या 2021-22 में लगभग 19 लाख थी। अब इस मामले में विरोधाभास है कि यह लगभग 19 लाख रोजगार चाहने वाले युवा कौन है? अगर ये बेरोजगार है तो प्रदेश में 18 वर्ष से 35 वर्ष की आयु के युवा लगभग 35 प्रतिशत के आधार पर लगभग 1 करोड़ होंगे। अब इन 1 करोड़ में लगभग 19 लाख रोजगार के इच्छुक है तो बेरोजगारी दर प्रदेश की 19 प्रतिशत हो जाती है। या तो सीएमआई का बेरोजगारी नापने की प्रक्रिया और इकाई गलत है या तो फिर प्रदेश के रोजगार केंद्रों में दर्ज रोजगार चाहने वालों की संख्या में कुछ गड़बड़ी है। अब सवाल यह उठता है कि अगर सरकार ढाई हजार रुपए प्रतिमाह की दर से युवाओं को देगी तो साल में प्रत्येक युवा 30 हजार बनते है। और 19 लाख युवाओं को साल में 30 हजार रुपए देने पड़े तो सरकार के खजाने पर 5 हजार 700 करोड़ रुपए का भार आएगा। अब मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी इस बात की मांग कर रही है कि सरकार को पिछले 4 साल के हिसाब से बेरोजगारों को भत्ता देना चाहिए। यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव के पहले अपने संकल्प पत्र में यह वादा किया था कि अगर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तो 10 लाख बेरोजगार युवाओं को ढाई हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। हालांकि कांग्रेस पार्टी के नेता पिछले कुछ माह से यह कहते सुने जा रहे है कि संकल्प पत्र में बेरोजगार युवकों को ढाई हजार रुपए देने का वादा नहीं किया गया था। इसका मतलब है कि अब अगले कुछ महीने तक बेरोजगारी भत्ते को लेकर जमकर राजनीति होगी। चुनाव को देखते हुए सरकार ने घोषणा तो कर दी लेकिन इस घोषणा के बाद कितने युवा भत्ते के लिए आवेदन करते है और कितनों को यह भत्ता मिलेगा यह देखने वाली बात होगी। उम्मीद रखने वाला बेरोजगार युवक को अगर भत्ता नहीं मिला, तो वह नरााज होगा।