भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में एक अंग्रेज अधिकारी एओह्युम के द्वारा की गई थी। कांग्रेस पार्टी ने उसके बाद अनेक परिवर्तन देखे। इन परिवर्तनों में महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी का एक संगठनात्मक पार्टी के 1920 के नागपुर अधिवेशन में महत्वपूर्ण था। प्रतिवर्ष दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस पार्टी का नियमित अधिवेशन होता था जो स्वतंत्रता के बाद 1965 तक चलता रहा। पं. जवाहरलाल नेहरु के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी का वार्षिक अधिवेशन नियमित नहीं रहा। इस वर्ष 24 से 26 फरवरी कांग्रेस पार्टी का एक अधिवेशन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हो रहा है। इसके पूर्व कोई भी अधिवेशन छत्तीसगढ़ की सीमा में नहीं हुआ था। सबसे नजदीक जबलपुर के पास त्रिपुरी और नागपुर में अधिवेशन हो चुके है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अधिवेशन छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है। इस अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी इस वर्ष के अंत में होने वाले छत्तीसगढ़ सहित कई महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव की दृष्टि से चर्चा होगी। लंबे समय के बाद कांग्रेस पार्टी को गांधी, नेहरु परिवार के बाहर राष्ट्रीय अध्यक्ष मिला है। मल्लिकार्जुन खडग़े की अध्यक्षता में इस अधिवेशन में संगठनात्मक चर्चा होगी। 2004 से 2014 दस वर्षों तक डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार केंद्र में रही। इसके बाद लगातार दो चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है। कांग्रेस पार्टी के इतिहास में लगभग 50 के आसपास तक सीटों पर जीत आपातकाल के बाद कांग्रेस के सबसे बुरे काल में भी नहीं मिली थी। 2019 में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को हार मिली। इसके बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लगभग 3 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी का कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं था, इसलिए संगठन का ढांचा बिखर चुका है। हाल में केवल 3 ही राज्य ऐसे है हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी देश में कमजोर हो गई है लेकिन नेतृत्व का अभाव और दिशाहीनता के कारण पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले 4 महीनों से राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे थे जिसे देशभर में अच्छा प्रतिसाद मिला है। नए अध्यक्ष का नेतृत्व और भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद रायपुर में होने वाले महाधिवेशन में इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी को फिर से मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का होना जरुरी है। कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का कमजोर रहना भारतीय लोकतंत्र के लिए भी अच्छा नहीं है।